मुस्लिम लड़की को 'मां दुर्गा' का रूप मानकर किया कन्या पूजन
नई दिल्ली। नवरात्रि का त्योहार पूरे देश में धूमधाम से मनाया जाता है। जगह-जगह मां दुर्गा के पंडाल सजे हुए होते हैं, जिसमें पूजा करने के लिए लोग दूर-दूर से आते हैं। मां दुर्गा की पूरे नौ दिनों तक पूजा अर्चना की जाती है। उसके बाद अष्टमी और नवमी को कन्य
नई दिल्ली। नवरात्रि का त्योहार पूरे देश में धूमधाम से मनाया जाता है। जगह-जगह मां दुर्गा के पंडाल सजे हुए होते हैं, जिसमें पूजा करने के लिए लोग दूर-दूर से आते हैं।
मां दुर्गा की पूरे नौ दिनों तक पूजा अर्चना की जाती है। उसके बाद अष्टमी और नवमी को कन्या पूजन होता है, जिसमें कुंवारी कन्याओं को मां दुर्गा का रूप मानकर पूजा जाता है। लेकिन पश्चिम बंगाल के अर्जुनपुर में एक बंगाली परिवार ने कन्या पूजन के दिन एक मिसाल कायम की ।
अर्जुनपुर का दत्त परिवार पिछले छह सालों से अपने घर पर दुर्गा पूजा का आयोजन करता है । लेकिन इस बार इस परिवार ने कुमारी पूजन के लिए मुस्लिम लड़की को चुना। ऐसा करने के पीछे बस एक ही मकसद था कि लोगों को ये बताया जा सके कि त्योहार धर्म के भेद को मिटा देते हैं।
जिस कन्या को पूजा के लिए चुना गया उसका नाम फातिमा है। दत्त परिवार के मुताबिक, हमने इससे पहले भी गैर-ब्राहम्ण लड़की के साथ कुमारी पूजन किया था और इस बार हमने मुस्लिम लड़की को देवी मानकर पूजा की।
पहले हम सिर्फ ब्राह्मण लड़कियों की पूजा किया करते थे। लेकिन मां दुर्गा तो सभी पृथ्वीवासियों की मां हैं. इसलिए हमने परंपरा को तोड़ दिया।
मां दुर्गा की पूरे नौ दिनों तक पूजा अर्चना की जाती है। उसके बाद अष्टमी और नवमी को कन्या पूजन होता है, जिसमें कुंवारी कन्याओं को मां दुर्गा का रूप मानकर पूजा जाता है। लेकिन पश्चिम बंगाल के अर्जुनपुर में एक बंगाली परिवार ने कन्या पूजन के दिन एक मिसाल कायम की ।
अर्जुनपुर का दत्त परिवार पिछले छह सालों से अपने घर पर दुर्गा पूजा का आयोजन करता है । लेकिन इस बार इस परिवार ने कुमारी पूजन के लिए मुस्लिम लड़की को चुना। ऐसा करने के पीछे बस एक ही मकसद था कि लोगों को ये बताया जा सके कि त्योहार धर्म के भेद को मिटा देते हैं।
जिस कन्या को पूजा के लिए चुना गया उसका नाम फातिमा है। दत्त परिवार के मुताबिक, हमने इससे पहले भी गैर-ब्राहम्ण लड़की के साथ कुमारी पूजन किया था और इस बार हमने मुस्लिम लड़की को देवी मानकर पूजा की।
पहले हम सिर्फ ब्राह्मण लड़कियों की पूजा किया करते थे। लेकिन मां दुर्गा तो सभी पृथ्वीवासियों की मां हैं. इसलिए हमने परंपरा को तोड़ दिया।