इंजेक्शन से नशा लेने वालों में बढ़ा एड्स

डंके की चोट पर 'सिर्फ सच'

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इंजेक्शन से नशा लेने वालों में बढ़ा एड्स

हल्द्वानी। नशा हर तरह से मनुष्य के लिए खतरनाक है। पैसे, समय, शरीर के साथ ही अपराध का जन्मदाता तो है ही साथ ही यह तरह तरह के बीमारियों की भी जड़ है। केंद्र सरकार की तमाम योजनाओं के बावजूद एचआइवी रोगियों की संख्या तेजी से बढ़ रही है। असुरक्षित यौन संब


इंजेक्शन से नशा लेने वालों में बढ़ा एड्सहल्द्वानी। नशा हर तरह से मनुष्य के लिए खतरनाक है। पैसे, समय, शरीर के साथ ही अपराध का जन्मदाता तो है ही साथ ही यह तरह तरह के बीमारियों की भी जड़ है। केंद्र सरकार की तमाम योजनाओं के बावजूद एचआइवी रोगियों की संख्या तेजी से बढ़ रही है। असुरक्षित यौन संबंध व संक्रमित रक्त चढ़ाने के अलावा इंजेक्शन से नशा करने वालों में एचआइवी खतरनाक स्थिति में पहुंच गया है। हल्द्वानी व आसपास क्षेत्रों में ही 385 मरीज पंजीकृत हो चुके हैं। इनकी उम्र 18 से 35 वर्ष है। यह संख्या बढऩे की गति 27 फीसद है। हकीकत यह है कि प्रतिवर्ष एचआइवी कंट्रोल के लिए ढाई करोड़ रुपये गैर सरकारी संगठनों की मदद से खर्च किए जाते हैं। धरोहर संस्था के सर्वे में कई चौंकाने वाली रिपोर्ट सामने आई है।
स्लम एरिया में मरीजों की संख्या अधिक : धरोहर विकास संस्था केंद्र सरकार की लक्ष्यगत हस्तक्षेप योजना पर काम कर रही है। इस संस्था को हल्द्वानी में ही ड्रग एब्यूजर यानी सुई के माध्यम से नशा करने वाले 300 लोगों को खोजने का लक्ष्य दिया गया था, जो इस वजह से एचआइवी से ग्रस्त हो गए हैं। संस्था का यह लक्ष्य पूरा हो गया। इसके बाद लालकुआं क्षेत्र में 100 ऐसे लोगों का लक्ष्य मिला, इसमें से भी एचआइवी से ग्रस्त 84 मरीज पंजीकृत हो चुके हैं।
नशा छुड़ाने के लिए की जाती है काउंसलिंग : योजना के प्रोजेक्ट डायरेक्टर मुकुल पांडेय बताते हैं कि बनभूलपुरा में नशा छुड़ाने के लिए सेंटर खोला गया है। इसमे 70 लोग पंजीकृत हैं। इन्हें दवा भी दी जाती है। साथ ही काउंसलिंग भी की जाती है। स्वास्थ्य विभाग ने बरती लापरवाही : स्वास्थ्य विभाग ने तीन महीने तक प्रदेश के किसी भी गैर सरकारी संगठन को भुगतान नहीं किया। इस वजह से अभियान भी प्रभावित हो गया था। प्रदेश में एड्स कंट्रोल प्रोग्राम के लिए 25 संस्थाएं संबद्ध हैं। मेडिकल स्टोरों पर लगाम न लगना भी बढ़ा कारण : प्रशासन, पुलिस व ड्रग इंस्पेक्टरों की घोर लापरवाही की वजह से मेडिकल स्टोरों पर नियंत्रण नहीं लग पा रहा है। धड़ल्ले से इंजेक्शन के रूप में कई तरह की दवाइयां मनमाने तरीके से बिक रही हैं। महज औपचारिकता के लिए अभियान चलाए जाते हैं।