भाजपा दोहरे मानदंडों की राजनीति करती है : कांग्रेस

डंके की चोट पर 'सिर्फ सच'

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भाजपा दोहरे मानदंडों की राजनीति करती है : कांग्रेस

रायपुर। मुम्बई हमले के मामले में रमन सिंह की राजनैतिक बयानबाजी पर पलटवार करते हुये प्रदेश कांग्रेस के महामंत्री एवं संचार विभाग के अध्यक्ष शैलेश नितिन त्रिवेदी ने कहा कि कांग्रेस सरकार पर दोष मढऩे के पहले रमन सिंह जी भाजपा शासन काल में हुये संसद पर


भाजपा दोहरे मानदंडों की राजनीति करती है : कांग्रेस रायपुर। मुम्बई हमले के मामले में रमन सिंह की राजनैतिक बयानबाजी पर पलटवार करते हुये प्रदेश कांग्रेस के महामंत्री एवं संचार विभाग के अध्यक्ष शैलेश नितिन त्रिवेदी ने कहा कि कांग्रेस सरकार पर दोष मढऩे के पहले रमन सिंह जी भाजपा शासन काल में हुये संसद पर हमले को भी याद करें और लोकतंत्र के मंदिर संसद भवन पर हुये आतंकवादी हमले को लेकर भाजपा सरकार की जवाबदेही स्वीकार करने का नैतिक साहस दिखायें। प्रदेश कांग्रेस के महामंत्री एवं संचार विभाग के अध्यक्ष शैलेश नितिन त्रिवेदी ने भाजपा पर दोहरे मानदंडों की राजनीति करने का आरोप लगाया है।
बीजेपी प्रदेश प्रभारी अनिल जैन के बयान को बेहद बचकाना और स्तरहीन बयान ठहराते हुये प्रदेश कांग्रेस के महामंत्री एवं संचार विचार विभाग के अध्यक्ष शैलेश नितिन त्रिवेदी ने कहा है कि सेना की कार्यवाही पर श्रेय लेना सेना का अपमान है। मोदी के फैसले सही भी हो सकते हैं और गलत भी हो सकते हैं। मोदी सरकार अपने राजनीतिक फैसले पर बात करे, सेना की कार्यवाहियों पर नहीं। पुलवामा में जिस तरह से इंटेलीजेंस फेल हुआ, पूरी भाजपा चुप्पी साधे है। मोदी सरकार की नाकामी और इंटेलिजेंस फेल्योर पर भी भाजपा को बात करनी चाहिए, जिसकी वजह से 40 जवानों की शहादत हो गई। भाजपा नेता मोदी सरकार की गलती स्वीकार करने की बजाए सिर्फ अपनी विफलताओं से जनता का ध्यान हटाने की चाल चल रहे हैं। जनता इसे समझ रही है।
मोदी सरकार के राजनैतिक फैसलों पर विपक्षियों के एतराज को आतंकियों पर हो रही कार्यवाही पर एतराज बनाकर प्रस्तुत करने की भाजपा की चाल अब बेनकाब हो चुकी है जिसे हर देशवासी बखूबी समझ रहा है। फैसले सही हो या गलत, अपने हर फैसले के बचाव में सेना सेना की क्षमता और सेना के सम्मान को ढाल बनाना भाजपा के द्वारा सेना का अपमान करना है। राजनीतिक उद्देश्यों के लिए सेना के नाम सेना के सम्मान और सेना के गतिविधियों के आरएसएस और भाजपा द्वारा कुछ ज्यादा ही इस्तेमाल को लेकर हर देशवासी चिंतित और फिक्रमन्द है। देश की सुरक्षा और खुफिया तंत्र की समग्र विफलता पर राजनीति करना भाजपा की विशिष्ट कार्य शैली है।
अमित शाह अब छत्तीसगढ़ में कौन से जुमलों पर वोट मांगोगे - कांग्रेस
किसान विरोधी मोदी सरकार और रमन सरकार के कामों पर मजदूर किसानों को हिसाब चाहिये
भाजपा अध्यक्ष अमित शाह के छत्तीसगढ़ प्रवास पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुये प्रदेश कांग्रेस के महामंत्री एवं संचार विभाग के अध्यक्ष शैलेश नितिन त्रिवेदी ने कहा कि 2014 के लोकसभा चुनावों के वायदों को चुनावी जुमलेबाजी बताने वाले अमित शाह 2019 के लोकसभा चुनावों में कौन से जुमलों को उछाल कर वोट मांगेगे? 2014 में कालाधन लाने का वायदा करने वाले मोदी, शाह हर के खाते में 15 लाख आने का वायदा करने वाले मोदी, शाह हर साल 2 करोड़ युवाओं को रोजगार का वायदा कर वोट हासिल करने वालों से छत्तीसगढ़ और देश की जनता इन वायदों का हिसाब मांग रही है।
प्रदेश कांग्रेस के महामंत्री एवं संचार विभाग के अध्यक्ष शैलेश नितिन त्रिवेदी ने पूछा है कि छत्तीसगढ़ में भाजपा के लोकसभा के 10 और राज्यसभा के 3 कुल 13 सांसद हैं उसके बाद भी राज्य से एक भी कैबिनेट मंत्री क्यों नहीं बनाया गया? अमित शाह छत्तीसगढ़ के साथ हुये इस अन्याय का कारण समझायें। अमित शाह बतायें महिला आरक्षण महंगाई बेरोजगारी आंतरिक सुरक्षा देश की रक्षा जरूरतें स्वामीनाथन कमेटी की रिपोर्ट मजबूत लोकपाल नहीं दिया तो अब किस आधार पर भाजपा मतदाताओं से वोट मांगेगी? छत्तीसगढ़ की जनता भाजपा और मोदी से पिछले चुनावों का बदला विधानसभा चुनावों के समान ही लेने वाली है। छत्तीसगढ़ में भाजपा का खाता भी नहीं खुलने वाला।
प्रदेश कांग्रेस के महामंत्री एवं संचार विभाग के अध्यक्ष शैलेश नितिन त्रिवेदी ने कहा कि केन्द्र और राज्य की भाजपा सरकारें किसानों की दुर्दशा के लिये उत्तरदायी है। भाजपा की केंद्र में सरकार बनने के बाद छत्तीसगढ़ के किसानों को एक-एक दाना धान की खरीद से वंचित किया गया था फिर कौन से मुंह से शाह छत्तीसगढ़ के किसानों से वोट मांगेगे?
2014 के लोकसभा चुनावों के घोषणा पत्र में भाजपा ने कृषि लागत और मूल्य पर 50 प्रतिशत किसानों को लाभ देने का वादा किया था। 2018 में कृषि लागत 1726 रू. प्रतिक्विंटल से भी अधिक अमित शाह बतायें कि धान का समर्थन मूल्य सिर्फ 1750 रू. प्रतिक्विंटल क्यों घोषित किया गया?
मोदी कहते हैं कि 2024 तक वही प्रधानमंत्री होंगे। होंगे तो उनके कार्यकाल के दूसरे हिस्से में भी खेती की असफलता मुंह बाये खड़ी रहेगी। किसान हाहाकार कर रहे होंगे। उन्हें भटकाने के लिए युद्ध का उन्माद रचा जा रहा होगा या सांप्रदायिकता का ऊबाल पैदा किया जा रहा होगा। तब किसान दस साल के व्हाट्स एप मेसेज पलट कर देख रहे होंगे कि उन्होंने अपने जीवन का एक दशक किन बातों में निकाल दिया। रैली और धरना करेंगे तो मीडिया उन्हें देशद्रोही घोषित कर देगा और पुलिस लाठियों से उनका हौसला तोड़ चुकी होगी। बात मोदी या किसी और सरकार की नहीं है, खेती की यह हालत देश में जो अस्थिरता पैदा करेगा, उसकी है। किसानों को इस मोदी धोखे की बखूबी जानकारी है। कृषि मामले में अर्थशास्य़िों के अध्ययन से भाजपा का किसान विरोधी चरित्र उजागर हो गया। 
कृषि मामले में अर्थशास्य़िों के अध्ययन से उजागर हो गया भाजपा का किसान विरोधी चरित्र
अंधेर नगरी चौपट खेती, टके सेर झांसा, टके सेर जुमला, खेती में फेल मोदी सरकार
भारत में कार्य बल का 47 प्रतिशत कृषि से जुड़ा है। 2018-18 में कृषि, मत्स्य पालन, वनोपज की  त्रङ्क्र (त्रह्म्शह्यह्य ङ्कड्डद्यह्वद्ग ्रस्रस्रद्गस्र ) 2.7 हो गई है। 20-17-18 में 5 प्रतिशत थी। एक साल में 46 प्रतिशत की यह कमी भयावह है। यह आंकड़े सेंट्रल स्टैटिस्टिक ऑफिस के हैं। खेती के मामले में इस साल का पिछले साल से तुलना करने में दिक्कत होती है क्योंकि 52 प्रतिशत खेती मानसून पर निर्भर रहती है। इसलिए पांच साल का औसत देखा जाता है। पांच साल के औसत के हिसाब से कृषि क्षेत्र की आय पर अध्ययन अनेक अर्थशास्य़िों ने किया है। अर्थशास्त्रियों ने 1998-2003-04 (वाजपेयी सरकार), 2004-05- से 2008-09(यूपीए-1), 2009-10 से 2013-14(यूपीए 2) और 2014-15 से 2018-19(मोदी सरकार) का तुलनात्मक अध्ययन किया है।
खेती के मामले में मोदी सरकार का प्रदर्शन औसत है। इनका औसत प्रदर्शन 2.9 प्रतिशत है। नरसिम्हा राव सरकार का औसत प्रदर्शन 2.4 प्रतिशत था और वाजपेयी सरकार के समय 2.9 प्रतिशत। यूपीए-1 के समय 3.1 प्रतिशत और यूपीए-2 के समय 4.3 प्रतिशत था। खेती के मामले में लंबे समय का औसत इसलिए भी बेहतर तस्वीर पेश करता है क्योंकि कई उपायों का असर देखने का मौका मिलता है। मोदी सरकार 2022-23 तक किसानों की आमदनी दुगना करने का दावा करती है, उस आलोक में भी ये आंकड़े बताते हैं कि उनकी सरकार का कृषि क्षेत्र में कितना औसत प्रदर्शन रहा है।
नाबार्ड ने 2015-16 के लिए भारत के प्रमुख राज्यों में कृषि परिवारों की मासिक आय का हिसाब निकाला है। पंजाब में कृषि परिवार  की आमदनी सबसे अधिक 23,133 रुपये है और यूपी में 6,668 रुपये है। उत्तर प्रदेश में सबसे कम है। 2015-16 के लिए अखिल भारतीय स्तर पर औसत मासिक आमदनी 8,931 रुपये है। एक किसान परिवार मात्र इतना कमाता है।
2002-03 और 2015-16 में वास्तविक आय का कंपाउंड एनुअल ग्रोथ अखिल भारतीय स्तर पर 3.7 ही होता है। 2022-23 तक किसानों की आमदनी दुगनी करने के लिए एक्सपर्ट कमेटी बनी है। उसके प्रमुख अशोक दलवाई का अनुमान है कि इसे हासिल करने के लिए कृषि क्षेत्र में 10.4 प्रतिशत की वृद्धि दर हासिल करनी होगी। 2015-16 से तीन साल तक 10.4 प्रतिशत की दर से प्रगति करने पर ही हम कृषि क्षेत्र में दुगनी आमदनी के लक्ष्य को पा सकता है। इस वक्त 2.9 प्रतिशत है। मतलब साफ है लक्ष्य तो छोडि़ए, लक्षण भी नजऱ नहीं आ रहे हैं। अब भी अगर हासिल करना होगा तो बाकी के चार साल में 15 प्रतिशत की विकास दर हासिल करनी होगी जो कि मौजूदा लक्षण के हिसाब से असंभव है।
जाने माने अर्थशास्त्रियों अशोक गुलाटी और रंजना रॉय ने लिखा है कि किसानों को 6000 सालाना देने की नीति क भी कोई ठोस नतीजा नहीं निकलता दिख रहा है। सपना देखना अच्छा है बशर्ते कोई पूरा करने के लिए संसाधनों को इक_ा करे। पूरी ताकत से उसमें झोंक दे। मोदी सरकार के लिए समय जा चुका है। खेती में आमदनी दुगनी करने का नारा झांसा ही रहेगा।