भारत की संस्कृति का महत्वपूर्ण हिस्सा है गाय, दूध का कर्ज भी नहीं चुका सकता देश: मोदी
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सोमवार को उत्तर प्रदेश के वृंदावन पहुंचे और स्कूली बच्चों को खाना खिलाने वाले अक्षय पात्र फाउंडेशन के कार्यक्रम में शिरकत की। प्रधानमंत्री ने यहां फाउंडेशन की तीन अरबवीं थाली परोसी।प्रधानमंत्री ने खाना खिलाने से पहले संबोधि
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सोमवार को उत्तर प्रदेश के वृंदावन पहुंचे और स्कूली बच्चों को खाना खिलाने वाले अक्षय पात्र फाउंडेशन के कार्यक्रम में शिरकत की। प्रधानमंत्री ने यहां फाउंडेशन की तीन अरबवीं थाली परोसी।प्रधानमंत्री ने खाना खिलाने से पहले संबोधित करते हुए कहा, ‘बदली परिस्थितियों में पोषकता के साथ, पर्याप्त और अच्छी गुणवत्ता वाला भोजन बच्चों को मिले, ये सुनिश्चित किया जा रहा है।
इस काम में अक्षय पात्र से जुड़े आप सभी लोग, खाना बनाने वालों से लेकर खाना पहुंचाने और परोसने वाले तक के काम में जुटे सभी व्यक्ति देश की मदद कर रहे हैं।’ कार्यक्रम में उनके साथ राज्यपाल राम नाईक और यूपी सीएम योगी आदित्यनाथ भी मौजूद थे।
प्रधानमंत्री ने कहा, ‘1500 बच्चों से ये अभियान शुरू हुआ था और आज 17 लाख बच्चों को पोषक आहार से जोड़ रहा है। जो दान कर्तव्य समझकर बिना किसी उपकार की भावना से, उचित स्थान से, उचित समय पर योग्य व्यक्ति को दिया जाता है, उसे सात्विक दान कहते हैं। स्वास्थ्य का सीधा संबंध पोषण से है, यदि हम पोषण के अभियान को हर माता तक पहुंचाने में सफल हुए तो अनेक जीवन बच जाएंगे।
गाय को लेकर बयान देते हुए प्रधानमंत्री ने कहा, ‘गो माता के दूध का कर्ज इस देश के लोग नहीं चुका पाएंगे। गाय हमारी संस्कृति और परंपरा का महत्वपूर्ण हिस्सा रही है।
गाय ग्रामीण अर्थव्यवस्था का भी महत्वपूर्ण हिस्सा है। पशुपालकों की मदद के लिए अब बैंकों के दरवाजे खोल दिए गए हैं। अब बैंकों से 3 लाख रुपये तक का ऋण मिल सकता है। इससे हमारे तमाम पशुपालकों को लाभ मिलने वाला है।
पीएम ने कहा कि बजट में राष्ट्रीय कामधेनु आयोग बनाने का फैसला किया गया है। इस आयोग के तहत 500 करोड़ रुपए का प्रवाधान गौ माता और गौवंश की देखभाव के लिए किया गया है। प्रधानमंत्री ने कहा कि हमने टीकाकरण अभियान को मिशन मोड में चलाने का फैसला किया। मिशन इंद्रधनुष से देश में लगभग 3 करोड़ 40 लाख बच्चों और 90 लाख गर्भवती महिलाओं का टीकाकरण किया गया है। जिस गति से काम हुआ है, उससे तय है कि सम्पूर्ण टीकाकरण का हमारा लक्ष्य अब दूर नहीं है।