भारत सहित 122 देश भूमि निम्नीकरण समस्या सुलझाने हुए सहमत: जावड़ेकर

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भारत सहित 122 देश भूमि निम्नीकरण समस्या सुलझाने हुए सहमत: जावड़ेकर

नई दिल्ली। मरुस्थलीकरण का सामना करने के लिए संयुक्त राष्ट्र सम्मेलन के तहत १२ दिवसीय १४वां कॉन्फ्रेंस ऑफ पार्टीज़ (कॉप-१४)सोमवार को इंडिया एक्सपो सेंटर एंड मार्ट, ग्रेटर नोएडा में शुरु हुआ। यूएनसीसीडी के कार्यकारी सचिव इब्राहिम थियाव तथा राज्यमंत्री


भारत सहित 122 देश भूमि निम्नीकरण समस्या सुलझाने हुए सहमत: जावड़ेकर
नई दिल्ली। मरुस्थलीकरण का सामना करने के लिए संयुक्त राष्ट्र सम्मेलन के तहत १२ दिवसीय १४वां कॉन्फ्रेंस ऑफ पार्टीज़ (कॉप-१४)सोमवार को इंडिया एक्सपो सेंटर एंड मार्ट, ग्रेटर नोएडा में शुरु हुआ। यूएनसीसीडी के कार्यकारी सचिव इब्राहिम थियाव तथा राज्यमंत्री बाबुल सुप्रियो तथा अन्य गणमान्यों व्यक्तियों की उपस्थिति में मीडियाकर्मियों को जानकारी देते हुए केंद्रीय पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने कहा कि व्यापक स्तर पर जागरूकता तथा लोगों की भागीदारी समय की आवश्यकता है। चाहे जलवायु परिवर्तन हो या मरुस्थलीकरण हो, मानव के कार्यों ने प्रकृति के संतुलन को नुकसान पहुंचाया है। अब लोगों ऐसा अनुभव करते हैं कि यदि मानव के कार्यों से कुछ नुकसान पहुंचा है तो सकारात्मक मानवीय कार्यों से उस नुकसान को कम किया जा सकता है और आने वाली पीढिय़ों को हम एक बेहतर दुनिया दे सकते हैं।
कृषि योग्य भूमि को संरक्षित करने के लिए विश्व स्तर पर चलाए जाने वाले अभियान के बारे में जावड़ेकर ने कहा कि १२२ देश भूमि निम्नीकरण की समस्या को राष्ट्रीय लक्ष्य बनाने और समावेशी विकास लक्ष्य हासिल करने के लिए सहमत हुए हैं। इन देशों में ब्राजील, चीन, भारत, नाइजीरिया, रूस और दक्षिण अफ्रीका जैसे सर्वाधिक आबादी वाले देश शामिल हैं। जावड़ेकर ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ०९ सितंबर को उच्चस्तरीय बैठक का उद्घाटन करेंगे।
इतने बड़े स्तर के सम्मेलन के महत्व के बारे में जावड़ेकर ने कहा कि ऐसे विश्व मंच पर अपने अनुभवों और सफलता की कहानियों को साझा करने से विश्व को सहायता प्राप्त होगी। हम लोग प्रत्येक देश में तेजी से कार्य कर सकते हैं। इसलिए यह यूएनसीसीडी बहुत महत्वपूर्ण है और हम आशा करते हैं कि कुछ अच्छे परिणामों को दिल्ली घोषणा पत्र में अधिसूचित किया जाएगा। दिल्ली घोषणा पत्र भविष्य की कार्य योजना की रूपरेखा होगी।
इब्राहिम ने हाल के वैज्ञानिक आकलनों की चेतावनियों पर ध्यान आकर्षित करते हुए कहा कि मौसम से संबंधित आपदाएं जैसे सूखा, जंगल की आग, अचानक से आई बाढ़ और भूमि का क्षरण हमें चेतावनी देती हैं। उन्होंने सदस्य देशों से आग्रह किया कि उन्हें बदलाव के अवसरों को ध्यान में रखना चाहिए और इससे संबंधित कार्य करने चाहिए।
इब्राहिम ने अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन का आयोजन करने के लिए भारत सरकार को धन्यवाद दिया। उन्होंने कहा कि हम भारत में आकर बहुत भाग्यशाली महसूस कर रहे हैं। यूएनसीसीडी द्वारा आयोजित यह कॉप निसन्देह सबसे बड़ा कॉप है।
आशा है कि १९७ देशों के लगभग ७२०० प्रतिनिधि इस सम्मेलन में शामिल होंगे। प्रतिनिधियों में मंत्री, सरकार के प्रतिनिधि, गैर-सरकारी संगठनों के प्रतिनिधि, वैज्ञानिक, महिलाएं और युवा शामिल हैं। सम्मेलन में लगभग ३० निर्णय लिए जाएंगे। इन निर्णयों से पूरी दुनिया में भूमि के उपयोग की नीतियों को मजबूत बनाया जाएगा और साथ ही सूखे, धूल की आंधी, रेत से होने वाले खतरों से भी निपटने में मदद मिलेगी।
यूएनसीसीडी भूमि के अच्छे रखरखाव पर एक अंतर्राष्ट्रीय समझौता है। यह समावेशी भूमि प्रबंधन के जरिए पर्याप्त खाद्यान, जल और ऊर्जा सुनिश्चित करने में लोगों, समुदायों और देशों की मदद करता है।