फांसी से 3 दिन पहले अशफाक उल्ला ने बहन को लिखी थी ये चिट्ठी...
1947 के बाद ये सिर्फ चौथी दफा है जब 15 अगस्त को रक्षाबंधन भी है। हर 19 साल पर ये अवसर आता है। इस मौके पर पेश है की क्रन्तिकारी अशफाक उल्ला की शहादत से पहले अपनी बहन को लिखी चिट्ठी... माय डियर दीदी, फैजाबाद जेल,16 दिसंबर 1927 मैं अगली दुनिया में जा र
1947 के बाद ये सिर्फ चौथी दफा है जब 15 अगस्त को रक्षाबंधन भी है। हर 19 साल पर ये अवसर आता है। इस मौके पर पेश है की क्रन्तिकारी अशफाक उल्ला की शहादत से पहले अपनी बहन को लिखी चिट्ठी...
माय डियर दीदी, फैजाबाद जेल,16 दिसंबर 1927
मैं अगली दुनिया में जा रहा हूं, जहां कोई सांसारिक पीड़ा नहीं है और बेहतर जीवन के लिए संघर्ष नहीं करना पड़ेगा। मैं मरने वाला नहीं, बल्कि हमेशा के लिए जीने वाला हूं। अंतिम दिन सोमवार है। मेरा आखिरी बंदे (चरण स्पर्श) स्वीकार करो... मुझे गुजर जाने दो। आपको बाद में पता चलेगा कि मैं कैसे मरा। भगवान का आशीर्वाद हमेशा आपके साथ रहे। आप सबको एक बार देखने की इच्छा है। यदि संभव हो तो मिलने आना। बख्शी को मेरे बारे में बताना। मैं आपको अपनी बहन मानता हूं और आप भी मुझे नहीं भूलेंगी। खुश रहो... मैं हीरो की तरह मर रहा हूं।
-तुम्हारा अशफाक उल्ला
माय डियर दीदी, फैजाबाद जेल,16 दिसंबर 1927
मैं अगली दुनिया में जा रहा हूं, जहां कोई सांसारिक पीड़ा नहीं है और बेहतर जीवन के लिए संघर्ष नहीं करना पड़ेगा। मैं मरने वाला नहीं, बल्कि हमेशा के लिए जीने वाला हूं। अंतिम दिन सोमवार है। मेरा आखिरी बंदे (चरण स्पर्श) स्वीकार करो... मुझे गुजर जाने दो। आपको बाद में पता चलेगा कि मैं कैसे मरा। भगवान का आशीर्वाद हमेशा आपके साथ रहे। आप सबको एक बार देखने की इच्छा है। यदि संभव हो तो मिलने आना। बख्शी को मेरे बारे में बताना। मैं आपको अपनी बहन मानता हूं और आप भी मुझे नहीं भूलेंगी। खुश रहो... मैं हीरो की तरह मर रहा हूं।
-तुम्हारा अशफाक उल्ला