मां और पत्नी की देहदान करने के बाद 79 वर्षीय रिटायर आईएएस ने करवाया स्वयं का भी देहदान

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मां और पत्नी की देहदान करने के बाद 79 वर्षीय रिटायर आईएएस ने करवाया स्वयं का भी देहदान

एसपी मित्तल अपने जीवन काल में अनेक लोग देहदान का संकल्प लेते हैं, लेकिन मृत्यु के बाद परिवार वाले नेत्र दान तक नहीं करते। जो लोग नेत्रदान का संकल्प लेते हैं उनके परिवार वाले तो मृत्यु की जानकारी तक नहीं देते। यदि देहदान का संकल्प लेने वाले सभी लोग ऐ


मां और पत्नी की देहदान करने के बाद 79 वर्षीय रिटायर आईएएस ने करवाया स्वयं का भी देहदान एसपी मित्तल 
अपने जीवन काल में अनेक लोग देहदान का संकल्प लेते हैं, लेकिन मृत्यु के बाद परिवार वाले नेत्र दान तक नहीं करते। जो लोग नेत्रदान का संकल्प लेते हैं उनके परिवार वाले तो मृत्यु की जानकारी तक नहीं देते।

यदि देहदान का संकल्प लेने वाले सभी लोग ऐसा करें तो किसी भी अस्पताल में मेडिकल की पढ़ाई और शोध के लिए पार्थिव शरीर की कमी नहीं रहे। इसी प्रकार संकल्प के मुताबिक आंखें मिल जाएं तो कोई भी जरुरतमंद व्यक्ति नेत्रहीन नहीं रहे।

लेकिन राजस्थान के पुखराज सालेचा ऐसे व्यक्ति रहे जिन्होंने अपनी कथनी के अनुरूप कार्य किया। सालेचा की प्रेरणा से ही मां श्रीमती प्यारी देवी और पत्नी श्रीमती रामेश्वरी देवी सालेचा ने मृत्युपरांत देहदान का संकल्प लिया। मां और पत्नी के संकल्प के अनुरूप पुखराज सालेचा ने दोनों के पार्थिव शरीर को जयपुर के एसएमएस अस्पताल को सौंपा।

राजस्थान के मेडिकल साइंस के इतिहास में पहला अवसर रहा, जब पुखराज सालेचा की पत्नी के तौर पर किसी महिला की पार्थिव देह मिली। सालेचा ने स्वयं भी देहदान का संकल्प लिया और अपने पुत्र नरेश सालेचा को प्रेरित किया कि मृत्यु के बाद उनकी देह का दान अवश्य किया जाए। यही वजह रही कि 27 जुलाई को जब 79 पुखराज सालेचा ने अंतिम सांस ली तो नरेश सालेचा ने वायदे के अनुसार अपने पिता का पार्थिव शरीर जयपुर स्थित जयपुर नेशनल यूनिवर्सिटी मेडिकल काॅलेज को सौंप दिया। काॅलेज के चिकित्सकों ने भरोसा दिलाया कि शरीर का उपयोग मेडिकल की पढ़ाई और शोध में ही होगा।

पिता को सच्ची श्रद्धांजलि
दिल्ली स्थित रेल मंत्रालय में वित्त विभाग के निदेशक नरेश सालेचा का कहना रहा कि हमने अपने पिता को सच्ची श्रद्धांजलि दी है। उनके पिता भी आईएएस के पद से सेवानिवृत्त हुए और राजस्थान में अनेक महत्वपूर्ण पदों पर कार्य किया। उन्होंने जो कहा वो किया।

ऐसे में हम उनके संकल्प की अनदेखी नहीं कर सकते थे। स्व. सालेचा जीवन भर कार्यशील रहे। 76 वर्ष की उम्र में उन्होंने जैन चिंतन पर पीएचडी की। वे सामाजिक कार्यों में भी आगे रहते थे। हमारे परिवार के लिए पिता हमेशा प्रेरणा के स्त्रोत रहेंगे। आत्मा की शांति के लिए 28 जुलाई को सायं 5ः30 से 6ः30 बजे तक जयपुर के मालवीय नगर स्थित अभिनव केन्द्र पर एक श्रद्धांजलि सभा रखी गई है।