अमिता और मनीष की गिरफ्तारी लोकतान्त्रिक आवाजों पर हमला

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अमिता और मनीष की गिरफ्तारी लोकतान्त्रिक आवाजों पर हमला

लखनऊ। लखनऊ में सामाजिक, सांस्कृतिक और राजनीतिक संगठनों के कार्यकर्ताओं ने रिहाई मंच कार्यालय पर बैठक करके एक स्वर में भोपाल से अमिता और मनीष श्रीवास्तव की गिरफ्तारी को अवैध बताते हुए रिहाई की मांग की। बैठक में इलाहाबाद से आईं सीमा आज़ाद और विश्वविजय


अमिता और मनीष की गिरफ्तारी लोकतान्त्रिक आवाजों पर हमला
लखनऊ। लखनऊ में सामाजिक, सांस्कृतिक और राजनीतिक संगठनों के कार्यकर्ताओं ने रिहाई मंच कार्यालय पर बैठक करके एक स्वर में भोपाल से अमिता और मनीष श्रीवास्तव की गिरफ्तारी को अवैध बताते हुए रिहाई की मांग की। बैठक में इलाहाबाद से आईं सीमा आज़ाद और विश्वविजय ने लोगों को पिछले तीन दिनों से चल रहे घटनाक्रम से लोगों को अवगत कराया।

बैठक में वक्ताओं ने कहा कि हाल के दिनों में ‘शहरी नक्सली’ बताकर जो तमाम गिरफ्तारियां की जा रही हैं जिसमें महाराष्ट्र, आन्ध्र प्रदेश और दिल्ली से कई गिरफ्तारियां हुईं, वह जनता के असली मुद्दों से तथा संघ परिवार से जुड़े कार्यकर्ताओं द्वारा कहीं गाय के नाम पर तो कहीं ‘जय श्री राम’ के नाम पर की जा रही हिंसक घटनाओं से लोगों का ध्यान हटाने के लिए है। निर्दोष लोगों को बिना किसी सुबूत के गिरफ्तार किया जाना इस देश के संविधान में मौलिक अधिकारों का सरासर उल्लंघन है। उदाहरण के लिए अमिता ने इलाहाबाद विश्वविद्यालय से प्रोफेसर लाल बहादुर वर्मा के दिशा निर्देश में ‘मौखिक इतिहास’ में पीएचडी की उपाधि प्राप्त की। अमिता कहानीकार, गायिका, कवियित्री और अनुवादक भी हैं। वहीं मनीष इलाहाबाद एवं गोरखपुर विश्वविद्यालय से स्नातकोत्तर उपाधि प्राप्त कर लेखन व अनुवाद का काम करते हैं। ऐसे विद्वान साहित्यकर्मियों के खिलाफ मनगढ़ंत आरोप लगाना हास्यास्पद है।

हाल के चुनाव में भाजपा की अप्रत्याशित और आश्चर्यजनक सफलता जिसको लेकर स्वंय भाजपा में कोई उत्साह नहीं दिखाई पड़ता अब चुपचाप समाज में उसके विरोध में जो भी बची खुची आवाजें हैं उनको दबाने की साजिश की जा रही है। सरकारी तंत्र का दुरुपयोग किया जा रहा है, नहीं तो यह कैसे संभव है कि आतंकवाद की आरोपी साध्वी प्रज्ञा ठाकुर सांसद बन जाती हैं, भाजपा का विधायक सरेआम सरकारी अधिकारी को पीटता है और निर्दोष लोग फर्जी आरोपों में गिरफ्तार किए जा रहे हैं।

मनीष और अमिता के पहले चार अन्य लोगों को भी गिरफ्तार किया गया था, जिन्हें पूछताछ व विरोध के बाद छोड़ दिया गया। बृजेश मजदूर किसान एकता मंच के सदस्य हैं, प्रभा सावित्री बाई फुले संघर्ष समिति नाम के संगठन में काम करती हैं। कृपाशंकर फासीवाद विरोधी मोर्चा कार्यकारिणी सदस्य, एनसीएचआरओ के पूर्वी उत्तर प्रदेश कमेटी के सदस्य हैं और उनकी पत्नी वृंदा प्राईवेट स्कूल में अध्यापिका हैं, इस घटना के बाद जिन्हें आगे नौकरी मिलना मुश्किल होगा। इन सभी लोगों को बिना किसी आधार के गैरकानूनी हिरासत में लिये जाने की सभी लोगों ने कड़े शब्दों में निंदा की। सभी ने मनीष और अमिता श्रीवास्तव की गिरफ्तारी की कड़े शब्दों में निंदा करते हुए उन्हें तुरन्त रिहा करने व उन पर से सभी आरोप वापस लिये जाने की मांग की।

बैठक में लेखक अजय एवं पत्रकार अजय सिंह, मैग्सेसे पुरस्कार से सम्मानित प्रो. संदीप पाण्डेय, इप्टा महासचिव राकेश, जन संस्कृति मंच के कौशल किशोर, भगवान स्वरूप कटियार, नागरिक परिषद के रामकृष्ण, वर्कर्स काउसिंल के ओपी सिन्हा, सृजनयोगी आदियोगी, जागरूक नागरिक मंच के सत्यम वर्मा, कवियित्री और राहुल फाउंडेशन की कात्यायनी, एडवोकेट अमित अम्बेडकर, एड. रफीउद्दीन, लखनऊ विवि छात्र नेता ज्योति राय, नौजवान भारत सभा के आनन्द सिंह, जमीयतुल कुरैशी उत्तर प्रदेश के शकील कुरैशी, रिहाई मंच के मुहम्मद शुऐब, गुफरान सिद्दिकी, राजीव यादव, राॅबिन वर्मा मौजूद रहे।