सिर्फ कपड़े और कुछ गहने लेकर भारत आया था अरुण जेटली का परिवार

डंके की चोट पर 'सिर्फ सच'

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सिर्फ कपड़े और कुछ गहने लेकर भारत आया था अरुण जेटली का परिवार

शनिवार के दिन अरुण जेटली का निधन हो गया। दिल्ली के एम्स अस्पताल में पूर्व वित्त मंत्री अरुण जेटली ने अंतिम सांस ली। अरुण जेटली एबीवीपी से जुड़े रहे। उनका परिवार देश विभाजन के लिए देश के प्रथम प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू को जिम्मेदार ठहराता रहा


सिर्फ कपड़े और कुछ गहने लेकर भारत आया था अरुण जेटली का परिवार
शनिवार के दिन अरुण जेटली का निधन हो गया। दिल्ली के एम्स अस्पताल में पूर्व वित्त मंत्री अरुण जेटली ने अंतिम सांस ली। अरुण जेटली एबीवीपी से जुड़े रहे। उनका परिवार देश विभाजन के लिए देश के प्रथम प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू को जिम्मेदार ठहराता रहा है।

अरुण जेटली का परिवार देश विभाजन के बाद पाकिस्तान से भागकर भारत आया। जेटली ज्यादातर यह कहते थे कि उनकी फैमिली पार्टीशन फैमिली है। जेटली के मुताबिक उनके पिता ने बंटवारे का बहुत बड़ा दंश झेला।

एक इंटरव्यू में अरुण जेटली ने कहा था कि मेरा परिवार पाकिस्तान के लाहौर में रहता था। 1920 में मेरा दादा का निधन हुआ था। देश का जब बंटवारा हुआ था तो मेरी दादी अपने छह बेटों एवं दो बेटियों को लेकर दिल्ली आ गई। उनके पास सिर्फ कुछ कपड़े और गहने थे। 1947 में मेरी फैमिली दिल्ली आई। उस वक्त मेरे पिता की शादी भी नहीं हुई थी।

जब हमारी फैमिली दिल्ली में आई थी तो कोई भी किराए पर घर नहीं देता था। कुछ समय बाद एक मुस्लिम का घर किराए पर मिल गया क्योंकि वह पाकिस्तान में चला गया।


अरुण जेटली के पिता का नाम महाराज किशन था। अरुण जेटली के पिता को वकालत करने में काफी परेशानियों का सामना करना पड़ा क्योंकि उन्हें रिफ्यूजी कहा जाता था। 13 साल बाद अरुण जेटली के पिता ने दिल्ली के नारायण विहार में जमीन का टुकड़ा खरीद लिया और उस पर आशियाना बसाया।