कभी भी ढह सकता है 'आज़म खान का साम्राज्य'

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कभी भी ढह सकता है 'आज़म खान का साम्राज्य'

एसपी मित्तल एक अगस्त को यूपी के रामपुर में समाजवादी पार्टी के सैकड़ों कार्यकर्ताओं ने प्रदर्शन किया। सपाइयों का आरोप रहा कि पार्टी के सांसद आजम खान और उनके पुत्र अब्दुल्ला आजम के विरुद्ध सरकार राजनीतिक द्वेषता से कार्यवाही कर रही है। लोकतंत्र में सप


कभी भी ढह सकता है 'आज़म खान का साम्राज्य'
एसपी मित्तल 
एक अगस्त को यूपी के रामपुर में समाजवादी पार्टी के सैकड़ों कार्यकर्ताओं ने प्रदर्शन किया। सपाइयों का आरोप रहा कि पार्टी के सांसद आजम खान और उनके पुत्र अब्दुल्ला आजम के विरुद्ध सरकार राजनीतिक द्वेषता से कार्यवाही कर रही है।

लोकतंत्र में सपा के कार्यकर्ताओं को विरोध करने का अधिकार है, लेकिन सवाल उठता है कि उस आजम खान का समर्थन क्यों किया जा रहा है जिस पर गरीब मुस्लिम किसानों की जमीन हड़पने, मदरसों की पुस्तकों को चुराने जैसे गंभीर आरोप हैं। इतना ही नहीं बेटे अब्दुल्ला आजम भी जांच कर रहे अधिकारियों के साथ दुव्र्यवहार कर रहे हैं। सब जानते हैं कि आजम खान ने यूपी के नगरीय विकास मंत्री के पद पर रहते हुए अपनी निजी मिल्कियत वाली जौहर यूनिवर्सिटी के लिए सारे नियम कायदे ताक में रख दिए।

मुस्लिम किसानों का कहना है कि आजम से झूठे मुकदमों में फंसाने का डर दिखाकर हमारी जमीने हड़प ली। जौहर यूनिवर्सिटी में सरकारी गेस्ट हाउस तक बनवा लिया। अब जब गैर कानूनी कार्यों की जांच हो रही है तो आजम खान अपने समर्थकों से आंदोलन करवा रहे हैं। आजम ने स्वयं कहा था कि वे सरकार की कार्यवाहियों को अदालत में चुनौती देंगे। सवल उठता है कि आजम खान अदालत के निर्णय का इंतजार क्यों नहीं करते हैं? अदालत के निर्णय से पहले आंदोलन का क्या तुक है। अच्छा होता कि आजम खान आरोपों का जवाब देते। लोकतंत्र में आंदोलन तो अपराधी गिरोह भी कर सकते हैं।

लेकिन जो लोग सांसद और विधायक के पद पर बैठे हैं उन्हें देश की न्यायिक प्रक्रिया पर भी भरोसा करना चाहिए। आजम खान को अब अपनी हैसियत का अंदाजा भी हो गया होगा। जो आजम अखिलेश यादव की सरकार में सबसे ताकतवर मंत्री थे और उन्हें राजा होने का गुमान था वही आजम खान अब भू-माफिया की सूची में दर्ज हो गए हैं। आज की कभी भी गिरफ्तारी हो सकती है।

जौहर यूनिवर्सिटी के नाम पर जो साम्राज्य खड़ा किया वह कभी ढह सकता है। असल में जो लोग जनता के वोट से सत्ता हासिल करते हैं उन्हें स्वयं को जनता का सेवक ही  समझना चाहिए। आजम खान जैसे नेता जब स्वयं को जनता का राजा समझने लगते हैं तो बुरे दिन भी देखने पड़ते हैं।