मुस्लिम महिलाओं के लिए इस्लाम में चूडिय़ां और सिंदूर हराम नहीं : वसीम रिजवी

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मुस्लिम महिलाओं के लिए इस्लाम में चूडिय़ां और सिंदूर हराम नहीं : वसीम रिजवी

लखनऊ। शिया वक्फ बोर्ड के चेयरमैन वसीम रिजवी ने शुक्रवार को वीडियो जारी करके मुस्लिम महिलाओं के लिए एक बयान जारी किया । इसमें उन्होंने कहा कि इस्लाम में मुस्लिम महिलाओं के चूडिय़ां और सिंदूर लगाना हराम नहीं है। उन्होंने कहा कि मंगलसूत्र पहने और बिंदिय


मुस्लिम महिलाओं के लिए इस्लाम में चूडिय़ां और सिंदूर हराम नहीं : वसीम रिजवी
लखनऊ।  शिया वक्फ बोर्ड के चेयरमैन वसीम रिजवी ने शुक्रवार को वीडियो जारी करके मुस्लिम महिलाओं के लिए एक बयान जारी किया । इसमें उन्होंने कहा कि इस्लाम में मुस्लिम महिलाओं के चूडिय़ां और सिंदूर लगाना हराम नहीं है। उन्होंने कहा कि मंगलसूत्र पहने और बिंदिया लगाने पर मुस्लिम धर्मगुरुओं को एतराज नहीं होना चाहिए. रिजवी कहते हैं कि पूरी दुनिया के कट्टरपंथी मुल्लाओं को चैलेंज है कि जो लोग इससे हराम कहते है. इस वो लोग कुरान में साबित करे जो इससे हराम कहते हैं. शिया वक्फ बोर्ड के चेयरमैन ने कहा कि हिन्दुस्तान में यह एक तालिबानी परिचय का प्रचार है.
इससे पहले शिया सेंट्रल वक्फ बोर्ड के चेयरमैन वसीम रिजवी ने सुप्रीम कोर्ट में एक रिट याचिका दाखिल किया था. इसमें उन्होंने मांग की है कि इस्लाम के नाम पर देश में जिस झंडे का इस्तेमाल किया जाता है, वह पाकिस्तान की राजनीतिक पार्टी मुस्लिम लीग का झंडा है, उसे बैन किया जाए. उन्होंने दावा किया है कि इस्लाम में इस तरह के झंडे का कहीं जिक्र या इतिहास नहीं है. देश में ऐसा झंडा लगाना संविधान विरोधी है.
1906 में मुस्लिम लीग के गठन के साथ ये झंडा बनाया गया
वसीम रिजवी कहते हैं कि 1906 में मुस्लिम लीग के गठन के साथ ये झंडा बनाया गया. ये झंडा मुस्लिम लीग की पहचान बना. इससे पहले इस झंडे की कोई इस्लामिक इतिहास नहीं रहा है. ये राजनीतिक झंडा बनाया गया था. पाकिस्तान जब अलग हो गया तो जिन्ना आदि इसे लेकर पाकिस्तान चले गए. इसी से पाकिस्तान का झंडा बनाया गया. वहीं पाकिस्तान की मुस्लिम लीग में आज भी ये झंडा इस्तेमाल किया जाता है. इस झंडे को यहां के कट्टरपंथी मुसलमानों ने पाकिस्तान की मोहब्बत में इस झंडे को कायम रखा और इसे धार्मिक झंडा बना दिया. वसीम रिजवी कहते हैं कि ये धार्मिक नहीं राजनीतिक झंडा है.