यूपी के पूर्व डीजीपी का बड़ा खुलासा- 84 में सिख दंगा नहीं, राजीव गांधी ने कराया था नरसंहार

डंके की चोट पर 'सिर्फ सच'

  1. Home
  2. Desh Videsh

यूपी के पूर्व डीजीपी का बड़ा खुलासा- 84 में सिख दंगा नहीं, राजीव गांधी ने कराया था नरसंहार

लखनऊ। 84 में सिख दंगो पर दिए सैम पित्रोदा के बयान 'जो हुआ सो हुआ' के बाद अब यूपी के पूर्व डीजीपी सुलखान सिंह ने एक बार फिर इस मुद्दे को गर्मा दिया है। फेसबुक पर एक पोस्ट में खुलासा करते हुए उन्होंने लिखा 1984 में सिख दंगा नहीं राजीव गांधी के आदेश पर


यूपी के पूर्व डीजीपी का बड़ा खुलासा- 84 में सिख दंगा नहीं, राजीव गांधी ने कराया था नरसंहार
लखनऊ। 84 में सिख दंगो पर दिए सैम पित्रोदा के बयान 'जो हुआ सो हुआ' के बाद अब यूपी के पूर्व डीजीपी सुलखान सिंह ने एक बार फिर इस मुद्दे को गर्मा दिया है। फेसबुक पर एक पोस्ट में खुलासा करते हुए उन्होंने लिखा 1984 में सिख दंगा नहीं राजीव गांधी के आदेश पर उनके चुने हुए विश्वास पात्र कांग्रेसी नेताओं द्वारा खुद खड़े होकर कराया गया नरसंहार था।
यूपी के डीजीपी रहे सुलखान सिंह ने लिखा है कि 'इंदिरा गांधी की हत्या के दिन 31 अक्तूबर 1984 को मैं पंजाब मेल ट्रेन से लखनऊ से वाराणसी जा रहा था। ट्रेन अमेठी स्टेशन पर खड़ी थी, उसी समय एक व्यक्ति जो वहीं से ट्रेन में चढ़ा था, उसने बताया कि इंदिरा गांधी को गोली मार दी गई। वाराणसी तक कहीं कोई बात नहीं हुई। वाराणसी में भी अगले दिन सुबह तक कुछ नहीं हुआ। उसके बाद योजनाबद्ध तरीके से घटनाएं की गईं। अगर जनता के गुस्से का 'आउट बर्स्ट' होता तो दंगा फौरन शुरू हो जाता।
सुलखान सिंह का दावा है कि बाकायदा योजना बनाकर नरसंहार शुरू किया गया। उन्होंने तत्कालीन कांग्रेसी नेता भगत, टाइटलर, माकन, सज्जन कुमार मुख्य ऑपरेटर थे।
राजीव गांधी के खास विश्वासपात्र कमलनाथ मॉनिटरिंग कर रहे थे। उन्होंने आगे लिखा है कि नरसंहार पर राजीव गांधी का बयान और उन सभी कांग्रेसियों को संरक्षण के साथ-साथ अच्छे पदों पर तैनात करना उनकी संलिप्तता के जनस्वीकार्य सबूत हैं। राजीव गांधी की मृत्यु के बाद भी कांग्रेस सरकारों द्वारा इन व्यक्तियों को संरक्षण तथा पुरस्कृत करवाए इन सबकी सहमति दर्शाता है।
वहीं कानपुर में हुए सिख दंगों की जांच करने के लिए गठित एसआईटी के मुखिया और पूर्व डीजीपी अतुल ने कहा कि अगर सुलखान सिंह के पास इस मामले से जुड़ा ऐसा कोई पुख्ता सबूत है तो उन्हें उसे सरकार या एसआईटी के सामने आकर अपना पक्ष रखना चाहिए।
बता दें कि उत्तर प्रदेश के पूर्व डीजीपी सुलखान सिंह अब हाईकोर्ट के आधिकारिक वकील हैं। एडिशनल एडवोकेट जनरल विनोद शाही ने उन्हें बैंड पहनाया था। सुलखान सिंह बांदा जिले के जौहरपुर गांव के रहने वाले हैं। उनका जन्म 1957 में हुआ था। इंटर तक की पढ़ाई इन्होंने बांदा से की। इसके बाद वह इंजीनियरिंग से ग्रेजुएशन के लिए रुड़की चले गए। आइआइटी रुड़की से इंजीनियरिंग की पढ़ाई पूरी की।