सपा में भी रह चुके हैं नरेंद्र मोदी को एहसानफरामोश कहने वाले BJP नेता
भाजपा नेता एडवोकेट अजय अग्रवाल हाल ही में पीएम नरेंद्र मोदी के नाम खुला खत लिखने को लेकर सुर्खियों में हैं। अग्रवाल साल 2014 में रायबरेली सीट से सोनिया गांधी के खिलाफ चुनाव लड़ चुके हैं। लेकिन, इस बार टिकट नहीं दिया। लगता है उन्हें पहले से इसका अनुम
भाजपा नेता एडवोकेट अजय अग्रवाल हाल ही में पीएम नरेंद्र मोदी के नाम खुला खत लिखने को लेकर सुर्खियों में हैं। अग्रवाल साल 2014 में रायबरेली सीट से सोनिया गांधी के खिलाफ चुनाव लड़ चुके हैं।
लेकिन, इस बार टिकट नहीं दिया। लगता है उन्हें पहले से इसका अनुमान था। शायद तभी उन्होंने पार्टी अध्यक्ष अमित शाह को चिट्ठी लिख कर कहा था कि अगर उन्हें टिकट नहीं मिला तो बनिया समुदाय का वोट बीजेपी को नहीं मिलेगा। उन्होंने यह दलील भी दी थी कि रायबरेली में बीजेपी के किसी उम्मीदवार को कभी उनके बराबर वोट नहीं मिला।
अजय अग्रवाल आरएसएस कार्यकर्ता रहे हैं। वह मूल रूप से उत्तर प्रदेश के शाहजहांपुर के रहने वाले हैं। कानूूून की पढाई पूरी करने के बाद अजय ने 1987 में दिल्ली हाईकोर्ट से वकालत की शुरुआत की थी। बाद में वह सुप्रीम कोर्ट में प्रैक्टिस करने लग गए।
अजय ने कई महत्वपूर्ण मुद्दों पर जनहित याचिकाएं भी दायर की। इनमें बहुजन समाज पार्टी प्रमुख मायावती के खिलाफ ताज कॉरिडोर केस और अब्दुल करीम तेलगी की संलिप्ता वाला फर्जी स्टांप पेपर घोटाला शामिल है।
लंबे समय तक भाजपा में रहने के बाद अजय अग्रवाल साल 2012 में समाजवादी पार्टी में शामिल हो गए थे। हालांकि, साल 2013 में वह फिर से घर वापसी करते हुए भाजपा में शामिल हो गए।
अग्रवाल ने बोफोर्स मामले में हिंदुजा बंधुओं को सभी आरोपों से मुक्त करने के फैसले को 31 मई 2005 को चुनौती दी थी। सुप्रीम कोर्ट ने इससे पहले साल 2005 में अग्रवाल की याचिका को स्वीकार कर लिया था।
लेकिन, इस बार टिकट नहीं दिया। लगता है उन्हें पहले से इसका अनुमान था। शायद तभी उन्होंने पार्टी अध्यक्ष अमित शाह को चिट्ठी लिख कर कहा था कि अगर उन्हें टिकट नहीं मिला तो बनिया समुदाय का वोट बीजेपी को नहीं मिलेगा। उन्होंने यह दलील भी दी थी कि रायबरेली में बीजेपी के किसी उम्मीदवार को कभी उनके बराबर वोट नहीं मिला।
अजय अग्रवाल आरएसएस कार्यकर्ता रहे हैं। वह मूल रूप से उत्तर प्रदेश के शाहजहांपुर के रहने वाले हैं। कानूूून की पढाई पूरी करने के बाद अजय ने 1987 में दिल्ली हाईकोर्ट से वकालत की शुरुआत की थी। बाद में वह सुप्रीम कोर्ट में प्रैक्टिस करने लग गए।
अजय ने कई महत्वपूर्ण मुद्दों पर जनहित याचिकाएं भी दायर की। इनमें बहुजन समाज पार्टी प्रमुख मायावती के खिलाफ ताज कॉरिडोर केस और अब्दुल करीम तेलगी की संलिप्ता वाला फर्जी स्टांप पेपर घोटाला शामिल है।
लंबे समय तक भाजपा में रहने के बाद अजय अग्रवाल साल 2012 में समाजवादी पार्टी में शामिल हो गए थे। हालांकि, साल 2013 में वह फिर से घर वापसी करते हुए भाजपा में शामिल हो गए।
अग्रवाल ने बोफोर्स मामले में हिंदुजा बंधुओं को सभी आरोपों से मुक्त करने के फैसले को 31 मई 2005 को चुनौती दी थी। सुप्रीम कोर्ट ने इससे पहले साल 2005 में अग्रवाल की याचिका को स्वीकार कर लिया था।