रोज़ा तोड़कर मुस्लिम युवक ने अनजान हिंदू शख्स को दिया खून

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रोज़ा तोड़कर मुस्लिम युवक ने अनजान हिंदू शख्स को दिया खून

रमज़ान के पाक महिने में में एक मुस्लिम युवक ने इंसानियत और भाईचारे की अनूठी मिसाल पेश की है। मामला असम के गुवाहाटी का है। जहां रोजेदार मुस्लिम समुदाय के एक युवक ने साबित कर दिया है कि इंसानियत से बढ़कर कोई धर्म नही है। दरअसल असम के मंगलदोई के रहने वा


रोज़ा तोड़कर मुस्लिम युवक ने अनजान हिंदू शख्स को दिया खून
रमज़ान के पाक महिने में में एक मुस्लिम युवक ने इंसानियत और भाईचारे की अनूठी मिसाल पेश की है। मामला असम के गुवाहाटी का है। जहां रोजेदार मुस्लिम समुदाय के एक युवक ने साबित कर दिया है कि इंसानियत से बढ़कर कोई धर्म नही है।

दरअसल असम के मंगलदोई के रहने वाले पानुल्लाह अहमद और तापश भगवती एक फेसबुक पेज ‘टीम ह्यूमैनिटी – ब्लड डोनर्स एंड सोशल एक्टिविस्ट इन इंडिया’ के सदस्य हैं। बीते 8 मई को दोनों को गुवाहाटी के एक निजी अस्पताल में ट्यूमर का ऑपरेशन करा रहे मरीज के बारे में पता। जिसे बी+ ग्रुप के ब्लड की जरुरत थी। इसके लिए इन दोनों ने कई डोनर्स से संपर्क साधा। लेकिन बी+ ग्रुप के बल्ड का इंतजाम नहीं हो पाया। जिसके बाद इन्होने खुद ब्लड डोनेट करने का निश्चय किया।

हालांकि यह सब पानुल्लाह के लिए इतना आसन नहीं था। लेकिन इसके बावजूद रमजान के कायदे-कानून को दरकिनार करते हुए पानुल्लाह ने खाना खाकर रोजा तोड़ा और फिर पहुंच गए ब्लड डोनेट करने। चौथी दुनिया पर छपी खबर के अनुसार, अस्पताल पहुंचकर दोनों दोस्तों ने कैंसर का इलाज करा रहे असम के धीमाजी के रंजन गोगोई को ब्लड डोनेट किया।

वहीं अपने बल्ड डोनेट करने के फैसले पर पानुल्लाह ने बताया कि इसके लिए उन्होंने बुजुर्गों की भी राय ली थी। पानुल्लाह और तापश गुवाहाटी में एक निजी अस्पताल में काम करते हैं। और रेग्युलर ब्लड डोनर्स हैं।

फेसबुक पेज टीम ह्यूमैनिटी ने भी इनके इस कदम की सराहना करते हुए एक पोस्ट लिखा है। जिसमें दोनों दोस्तों की तस्वीरें भी शेयर की गई हैं। टीम ह्यूमैनिटी ने अपनी पोस्ट में लिखा है कि दो दोस्तों ने मुस्कराते हुए एक अनजान हिंदू भाई की जान बचाने के लिए रक्तदान किया। उन्होंने शारीरिक रूप से फिट लोगों से समय-समय पर रक्दान करने की अपील भी की है। आखिर में लिखा है कि इंसानियत हर धर्म से बढ़कर है.