चंद्रयान-2 के लैंडर विक्रम से संपर्क की उम्मीद न के बराबर : इसरो के अधिकारी
बेंगलुरु। चंद्रयान-2 मिशन से जुड़े एक वरिष्ठ इसरो के अधिकारी ने शनिवार को कहा कि भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन ने 'विक्रम' लैंडर और उसमें मौजूद 'प्रज्ञान' रोवर से संपर्क खो दिया है. उन्होंने कहा कि लैंडर से अब कोई संपर्क की उम्मीद न के बराबर है. यह
बेंगलुरु। चंद्रयान-2 मिशन से जुड़े एक वरिष्ठ इसरो के अधिकारी ने शनिवार को कहा कि भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन ने 'विक्रम' लैंडर और उसमें मौजूद 'प्रज्ञान' रोवर से संपर्क खो दिया है. उन्होंने कहा कि लैंडर से अब कोई संपर्क की उम्मीद न के बराबर है. यह लगभग समाप्त हो गया है.
इससे पहले लैंडर जब चंद्रमा की सतह के नजदीक जा रहा था तभी निर्धारित सॉफ्ट लैंडिंग से चंद मिनटों पहले अपना रास्ता भटक गया. उसका पृथ्वी स्थित नियंत्रण केंद्र से सपंर्क टूट गया. इसरो के वैज्ञानिकों की कड़ी मेहनत आखिरी वक्त में जवाब दे गई.
भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान केंद्र के अध्यक्ष के़ सिवन ने कहा, 'विक्रम लैंडर चंद्रमा की सतह से 2.1 किलोमीटर की ऊंचाई तक सामान्य तरीके से नीचे उतरा. इसके बाद लैंडर का धरती से संपर्क टूट गया. आंकड़ों का विश्लेषण किया जा रहा है.'
चंद्रयान-2 मिशन के तहत भेजा गया 1,471 किलोग्राम वजनी लैंडर 'विक्रम' भारत का पहला मिशन था, जो स्वदेशी तकनीक की मदद से चंद्रमा पर खोज करने के लिए भेजा गया था. लैंडर का यह नाम भारतीय अंतरिक्ष कार्यक्रम के जनक डॉ.विक्रम ए साराभाई पर दिया गया था.
इसे चंद्रमा की सतह पर सॉफ्ट लैंडिंग करने के लिए डिजाइन किया गया था और इसे एक चंद्र दिवस यानी पृथ्वी के 14 दिन के बराबर काम करना था. लैंडर विक्रम के भीतर 27 किलोग्राम वजनी रोवर 'प्रज्ञान' था. सौर ऊर्जा से चलने वाले प्रज्ञान को उतरने के स्थान से 500 मीटर की दूरी तक चंद्रमा की सतह पर चलने के लिए बनाया गया था.
इसरो के मुताबिक लैंडर में सतह और उपसतह पर प्रयोग करने के लिए तीन उपकरण लगे थे, जबकि चंद्रमा की सहत को समझने के लिए रोवर में दो उपकरण लगे थे. मिशन में ऑर्बिटर की आयु एक साल है.
इससे पहले लैंडर जब चंद्रमा की सतह के नजदीक जा रहा था तभी निर्धारित सॉफ्ट लैंडिंग से चंद मिनटों पहले अपना रास्ता भटक गया. उसका पृथ्वी स्थित नियंत्रण केंद्र से सपंर्क टूट गया. इसरो के वैज्ञानिकों की कड़ी मेहनत आखिरी वक्त में जवाब दे गई.
भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान केंद्र के अध्यक्ष के़ सिवन ने कहा, 'विक्रम लैंडर चंद्रमा की सतह से 2.1 किलोमीटर की ऊंचाई तक सामान्य तरीके से नीचे उतरा. इसके बाद लैंडर का धरती से संपर्क टूट गया. आंकड़ों का विश्लेषण किया जा रहा है.'
चंद्रयान-2 मिशन के तहत भेजा गया 1,471 किलोग्राम वजनी लैंडर 'विक्रम' भारत का पहला मिशन था, जो स्वदेशी तकनीक की मदद से चंद्रमा पर खोज करने के लिए भेजा गया था. लैंडर का यह नाम भारतीय अंतरिक्ष कार्यक्रम के जनक डॉ.विक्रम ए साराभाई पर दिया गया था.
इसे चंद्रमा की सतह पर सॉफ्ट लैंडिंग करने के लिए डिजाइन किया गया था और इसे एक चंद्र दिवस यानी पृथ्वी के 14 दिन के बराबर काम करना था. लैंडर विक्रम के भीतर 27 किलोग्राम वजनी रोवर 'प्रज्ञान' था. सौर ऊर्जा से चलने वाले प्रज्ञान को उतरने के स्थान से 500 मीटर की दूरी तक चंद्रमा की सतह पर चलने के लिए बनाया गया था.
इसरो के मुताबिक लैंडर में सतह और उपसतह पर प्रयोग करने के लिए तीन उपकरण लगे थे, जबकि चंद्रमा की सहत को समझने के लिए रोवर में दो उपकरण लगे थे. मिशन में ऑर्बिटर की आयु एक साल है.