देश को आजाद कराने में चौधरी मौहम्मद अली खां इंकलाबियों के कमाण्डर थे...

डंके की चोट पर 'सिर्फ सच'

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देश को आजाद कराने में चौधरी मौहम्मद अली खां इंकलाबियों के कमाण्डर थे...

नुरुल इस्लाम कासगंज/सहावर। जिला कासगंज से 25 किलोमीटर दूर बूढी गंगा के किनारे बसा है सहावर नगर ऐतिहासिक तो है ही अपितु अंगेजो से मुल्क को आजाद कराने में मुख्य स्थल रहा है। स्वतंत्रता के आन्दोलन सन् 1857 में देष को आजाद कराने में इस कस्बे के रहीस चौध


देश को आजाद कराने में चौधरी मौहम्मद अली खां इंकलाबियों के कमाण्डर थे...
नुरुल इस्लाम 

कासगंज/सहावर। जिला कासगंज से 25 किलोमीटर दूर बूढी गंगा के किनारे बसा है सहावर नगर ऐतिहासिक तो है ही अपितु अंगेजो से मुल्क को आजाद कराने में मुख्य स्थल रहा है। स्वतंत्रता के आन्दोलन सन् 1857 में देष को आजाद कराने में इस कस्बे के रहीस चौधरी मुहम्मद अली खाॅ इन्कलाबियोे के कमाण्डर थे। 

उप्र सरकार के सूचना एंव जन सम्पर्क विभाग के द्वारा सन् 1857 के बाद छपी पुस्तक “फ्रीडमस्टेगंल इन “ के पचंम खण्ड से भी ज्ञात होता है कि आजादी की लडाई मे पूरे जनपद मे चैधरी सहाब बडे ताल्लुकेदार थे। अंग्रेजी फौज के सिपाहियो ने जिसका सरदार कर्नल सटर था चौधरी मुहम्मद अली खाँ निवास सहावर मे किला नुमा हवेली (चैक वुलन्द) के फाटक को हाथी से तुडवाया और चौधरी सहाब को गिरफ्तार करके बरेली जेल भेज दिया और स्पेषल कमिष्नर एटा क्रास्ट बार्नर की अदालत मे इन पर मुकददमा चलाया गया और जुर्म बगावत का सर कर्दा मुजरिम करार देकर बरेली जेल मे बन्दूक की गोली का निशाना बनाकर शहीद कर दिया गया और जायजाद जब्त कर ली गयी । 
चौधरी मुहम्मद अली खाँ की गिरफ्तारी के दौरान और उसके बाद अग्रेजफौज ने जो पषुवत अत्याचार किए आज तक सहावर के वाशिन्दो की जुवान पर है और शहीदो की सामूहिक कब्रे भी अत्याचार की गवाही दे रही है खाना तलाषी के दौरान जब अग्रेज चैधरी मुहम्मद अली खाँ के सम्बंधी कमर अली खाँ के मकान मे घुसे तो वह (कमर अली खाँ) अपने घर की अटारी मे कपास के बोरे मे छुपे थे जालिम अंग्रेज ने कपास के बोरे मे आग लगवादी जिसमें आजादी के दिवाने कमर अली खाँ जल कर राख हो गये। चैधरी मुहम्मद अली खाँ के निवास के पास कुछ सैय्यद लोग भी मारे गये थेे। 

जिनको सामूहिक रूप से अंग्रेजा ने जमीन मे गाड दिया था ना जानकारी की विना पर वे हाथी वाली कब्र कहलाती है साहाव के साथ मिर्जा जीवन के घर भी तवाह कर दिये मिर्जा हैदर वेग साहब के और इनके सम्बंधियों की गोली मार दी गयी इस तरह आजादी के दीवानो को गोली का निषाना बनाया वही गर्वित उपनगर सहावर कहलाता है। अंग्रेजो के जुल्मो से चैधरी मुहम्मद अली खाँ ने अपने परिवार के बच्चो को बचाने के लिये अपने करीबी मित्र चतुर्वेदी निवासी ग्राम फरौली मे छिपा दिया थाए जब जालिम अंग्रेजो को पता चला तो वह फरौली चतुर्वेदीयो मे पहुँच गये और बच्चो को देख कर कहा यह बच्चे किस के है। चतुर्वेदीयो ने कहा यह बच्चे अपने हमारे घर के है। बच्चे उस वक्त खाना खा रहे थे जालिम अंग्रेज ने कहा कि इन बच्चो का झूठा खाना खा कर दिखाओ चतुर्वेदियो ने उन बच्चो का झूठा खाना खा कर दिखाया ये अनोखी एकता की मिसाल है ।