बच्चों ने पानी को बचाने के लिए बनाया ऐसा कमाल का 'प्लान'
नई दिल्ली। 'टीम लाइववायर' जिसमें मुंबई के कई स्कूल्स में क्लास 6th से 8th के बच्चे शामिल हैं, पानी को बर्बाद होने से बचाने के लिए दो जबदरस्त प्लान लेकर आए हैं। कभी-कभी बहुत बडी़ प्रॉबलम का सोल्युशन एक छोटी सी चीज में छुपा हुआ होता है। एक उदाहरण के त
नई दिल्ली। 'टीम लाइववायर' जिसमें मुंबई के कई स्कूल्स में क्लास 6th से 8th के बच्चे शामिल हैं, पानी को बर्बाद होने से बचाने के लिए दो जबदरस्त प्लान लेकर आए हैं। कभी-कभी बहुत बडी़ प्रॉबलम का सोल्युशन एक छोटी सी चीज में छुपा हुआ होता है। एक उदाहरण के तौर पर, हाउसहोल्ड लेवल पर पानी को कैसे बचाएं आइए जानें।
आपको लगता है कि जब आप जल संरक्षण की बात करते हैं तो वह महत्वहीन होती हैं, लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि आप जो भी बूंद बचाते हैं वह एक थ्रेड है जो जल संरक्षण के कपड़े को कसकर बांधकर रखता है।
अगर रोज की बात की जाए, तो हम हर रोज 5-6 लीटर पानी का उपयोग करते हैं। जानकारी के अनुसार, हर बार फ्लश करने पर कम से कम 10 लीटर पानी लगता है बल्कि यह काम 500 मिलीलीटर में भी हो जाता है। यंग स्टूडेंट्स का एक ग्रुप पानी की समस्या से लडने के लिए जो कि टॅायलेट्स में जो पानी का इस्तेमाल होता है उस पर दो अनोखे उपाय लेकर आये हैं।
पहला उपाय है कि आप अपने घर में परिवर्तन ला सकते हैं और दूसरा एक प्रोटोटाइप सेंसर है जिसे आप अपने टॅायलेट्स में इंस्टॅाल कर सकते हैं।
ध्रुव अय्यर, रोहन शेनॉय, सिदक अरोड़ा, चैतन्य राघवन, शामिक केल्कर और ध्रुव जैन सभी टीम लाइववायर का हिस्सा हैं, उन्होने फ्लश टैंक में दो 500 मिलीलीटर की बोतलों को फिक्स करने का सुझाव दिया है। इस तरह, टैंक पूरा नहीं भर पाएगा, और अगली बार जब आप फ्लश करेंगे, पानी की सही मात्रा ड्रेन पर जाएगी। पानी की मात्रा को कम करने के लिए यह बच्चों का एक सरल सोल्यूशन है जो हम हर दिन आधा कर सकते हैं।
Every flush saves टैगलाइन का उपयोग करके मुंबई के ये लड़के एक सेंसर विकसित कर रहे हैं जो कि कमोड में डाले गए पानी की मात्रा का अनुमान लगाएगा, और पानी की आवश्यक मात्रा को ही फ्लश करेगा। ध्रुव ने बताया कि फ्लशिंग हाउसहोल्ड लेवल पर बड़ी मात्रा में पानी लेती है, और हमारा लक्ष्य बर्बाद हो रहे पानी को बचाने के लिए है। यदि कमोड में सेंसर फिट है, तो पानी को सही मात्रा में ही वितरण करेगा और इससे बर्बादी भी कम होगी।
आपको लगता है कि जब आप जल संरक्षण की बात करते हैं तो वह महत्वहीन होती हैं, लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि आप जो भी बूंद बचाते हैं वह एक थ्रेड है जो जल संरक्षण के कपड़े को कसकर बांधकर रखता है।
अगर रोज की बात की जाए, तो हम हर रोज 5-6 लीटर पानी का उपयोग करते हैं। जानकारी के अनुसार, हर बार फ्लश करने पर कम से कम 10 लीटर पानी लगता है बल्कि यह काम 500 मिलीलीटर में भी हो जाता है। यंग स्टूडेंट्स का एक ग्रुप पानी की समस्या से लडने के लिए जो कि टॅायलेट्स में जो पानी का इस्तेमाल होता है उस पर दो अनोखे उपाय लेकर आये हैं।
पहला उपाय है कि आप अपने घर में परिवर्तन ला सकते हैं और दूसरा एक प्रोटोटाइप सेंसर है जिसे आप अपने टॅायलेट्स में इंस्टॅाल कर सकते हैं।
ध्रुव अय्यर, रोहन शेनॉय, सिदक अरोड़ा, चैतन्य राघवन, शामिक केल्कर और ध्रुव जैन सभी टीम लाइववायर का हिस्सा हैं, उन्होने फ्लश टैंक में दो 500 मिलीलीटर की बोतलों को फिक्स करने का सुझाव दिया है। इस तरह, टैंक पूरा नहीं भर पाएगा, और अगली बार जब आप फ्लश करेंगे, पानी की सही मात्रा ड्रेन पर जाएगी। पानी की मात्रा को कम करने के लिए यह बच्चों का एक सरल सोल्यूशन है जो हम हर दिन आधा कर सकते हैं।
Every flush saves टैगलाइन का उपयोग करके मुंबई के ये लड़के एक सेंसर विकसित कर रहे हैं जो कि कमोड में डाले गए पानी की मात्रा का अनुमान लगाएगा, और पानी की आवश्यक मात्रा को ही फ्लश करेगा। ध्रुव ने बताया कि फ्लशिंग हाउसहोल्ड लेवल पर बड़ी मात्रा में पानी लेती है, और हमारा लक्ष्य बर्बाद हो रहे पानी को बचाने के लिए है। यदि कमोड में सेंसर फिट है, तो पानी को सही मात्रा में ही वितरण करेगा और इससे बर्बादी भी कम होगी।