हर देशवासी कम से कम एक व्यक्ति को कुपोषण से बाहर निकाले : मोदी

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हर देशवासी कम से कम एक व्यक्ति को कुपोषण से बाहर निकाले : मोदी

नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने देशवासियों का आह्वान किया कि वे अगले माह पोषण अभियान में भाग लें और हर देशवासी कम से कम एक कुपोषित व्यक्ति को कुपोषण से बाहर निकालने में योगदान करें। मोदी ने आकाशवाणी पर अपने मासिक कार्यक्रम 'मन की बातÓ में य


हर देशवासी कम से कम एक व्यक्ति को कुपोषण से बाहर निकाले : मोदी
नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने देशवासियों का आह्वान किया कि वे अगले माह पोषण अभियान में भाग लें और हर देशवासी कम से कम एक कुपोषित व्यक्ति को कुपोषण से बाहर निकालने में योगदान करें।
मोदी ने आकाशवाणी पर अपने मासिक कार्यक्रम 'मन की बातÓ में यह आह्वान किया। मोदी ने संस्कृत के सुभाषितों में से एक को उद्धृत किया,  पृथिव्यां त्रीणि रत्नानि, जलमन्नं सुभाषितम्।
मूढै: पाषाणखण्डेषु रत्नसंज्ञा प्रदीयते।
यानी पृथ्वी में जल, अन्न और सुभाषित, ये तीन रत्न हैं। पर मूर्ख लोग पत्थरों को रत्न कहते हैं। उन्होंने कहा कि हमारी संस्कृति में अन्न की बहुत अधिक महिमा रही है। यहाँ तक कि हमने अन्न के ज्ञान को भी विज्ञान में बदल दिया है।
प्रधानमंत्री ने कहा कि संतुलित और पोषक भोजन हम सभी के लिए जरुरी है। विशेष रूप से महिलाओं और नवजात शिशुओं के लिए, क्योंकि, ये ही समाज के भविष्य की नींव है। 'पोषण अभियानÓ के अंतर्गत पूरे देशभर में आधुनिक वैज्ञानिक तरीकों से पोषण को जन-आन्दोलन बनाया जा रहा है। लोग नए और दिलचस्प तरीकों से कुपोषण से लड़ाई लड़ रहे हैं। उन्होंने महाराष्ट्र के नासिक में चल रहे 'मु_ी भर धान्यÓ आन्दोलन का उल्लेख करते हुए कहा कि इसमें फसल कटाई के दिनों में आंगनवाड़ी सेविकाएँ लोगों से एक मु_ी अनाज इकठ्ठा करती हैं। इस अनाज का उपयोग, बच्चों और महिलाओं के लिए गर्म भोजन बनाने में किया जाता है। इसमें दान करने वाला व्यक्ति एक प्रकार से जागरुक नागरिक समाज सेवक बन जाता है और उस आन्दोलन का वो एक सिपाही बन जाता है।