हमेशा से एक फाइटर बनना चाहती थीं महिला बाउंसर मेहरुन्निसा!

डंके की चोट पर 'सिर्फ सच'

  1. Home
  2. Desh Videsh

हमेशा से एक फाइटर बनना चाहती थीं महिला बाउंसर मेहरुन्निसा!

सहारनपुर जिले के बॉर्डर पर जब भी मिलिट्री एक्शंस होते थे, मेहरुन्निसा शौकत अली और छह भाई-बहन अपने घर की छत पर खड़े होकर सब कुछ बड़े ध्यान से देखते थे। उस समय उनकी मां उन्हें डांटकर नीचे बुलाती थीं और मां की बात माननी पड़ती थी। चाहे कितनी ही तेज धूप


हमेशा से एक फाइटर बनना चाहती थीं महिला बाउंसर मेहरुन्निसा!
सहारनपुर जिले के बॉर्डर पर जब भी मिलिट्री एक्शंस होते थे, मेहरुन्निसा शौकत अली और छह भाई-बहन अपने घर की छत पर खड़े होकर सब कुछ बड़े ध्यान से देखते थे। उस समय उनकी मां उन्हें डांटकर नीचे बुलाती थीं और मां की बात माननी पड़ती थी। 

चाहे कितनी ही तेज धूप हो, मेहरुन्निसा को मिलट्री प्रेक्टिस देखना अच्छा लगता था और घंटों तक गर्मी में यूं ही खड़‍ी रहती थीं। मेहरुन्निसा और उनके भाई-बहन छत से सावधान मुद्रा में खड़े होकर, सैल्यूट करते थे और चिल्ला कर कहते थे- हम भी आ रहे हैं, एक दिन हम भी इसका हिस्सा बनेंगे।
हमेशा से एक फाइटर बनना चाहती थीं महिला बाउंसर मेहरुन्निसा!

दिल्ली के हौज खास में एक बार में बाउंसर का काम करने वाली मेहरुन्निसा हमेशा से एक फाइटर बनना चाहती थीं। यूनाइटेड नेशंस इन इंडिया की खबर के मुताबिक, अक्सर वह स्कूल से चोट खाकर घर आती थीं और इस बीच वह एक लड़ाई और लड़ रही थीं, स्कूल जाने की लड़ाई। 

उनकी मां इस बात में उनका और उनकी बहन का साथ देती थीं, लेकिन उनके पिता के मन में डर था कि कहीं कुछ गलत न हो जाए। वह अपनी बेटियों को लेकर ज्यादा फिक्रमंद थे और उनके स्कूल जाने के खिलाफ थे। 

मेहरुन्निसा में 12वीं पास की और अखबार में उनकी फोटो उत्तर प्रदेश के तत्कालीन मुख्यमंत्री मुलायम सिंह यादव के साथ अखबार में आई, यह वह मौका था जब उनके पापा उस वक्त खुशी से पागल हो गए थे। वह बताती हैं कि उस दिन पिता ने हम बहनों को अपनी बाहों के घेरे लेकर कहा कि वह शायद ज्यादा सख्त हो गए थे। हम उस साल बहुत खुश थी। याद करते हुए वह बताती हैं कि पापा हमारे लिए वह सबकुछ लाए जो हमें चाहिए था, यह सब हमारे लिए जन्नत की तरह था। 

लेकिन अगले ही साल 2007 में, उनके परिवार को आर्थिक तंगी की वजह से दिल्ली शिफ्ट होना पड़ा। मेहरुन्निसा अपने परिवार की मदद करने के लिए पुलिस की नौकरी करना चाहती थीं, लेकिन उनके पापा अब उनकी नौकरी के खिलाफ थे। मेहरुन्निसा से पापा से छुपकर नेशनल कैडेट कॉर्प्स ज्वाइन कर लिया और अपनी ट्रेनिंग पूरी की, लेकिन जब वह अपनी नई यूनिफॉर्म पहनकर घर आईं, उनके पापा ने गुस्से में उस यूनिफॉर्म में आग लगा दी। 

इसके बाद भी मेहरुन्निसा ने हार नहीं मानी और मेरठ से अपनी मास्टर्स की डिग्री पूरी की और साथ में एक कपड़ों के स्टोर में काम भी किया।

जब उन्हें एक बाउंसर की जॉब के बारे में पता चला तब महरुन्निसा ने सोचा कि शायद यही जॉब उनके लिए सही है। वह शारीरिक रूप से इसके लिए एकदम फिट थीं क्योंकि उन्होंने अपने चाचा के साथ कई साल से जिम ज्वाइन कर रखा था। जल्द ही उन्हें हौज खास सोशल में बाउंसर की नौकरी मिल गई और उनकी बहन को भी पास के ही एक क्लब में बाउंसर के तौर पर रख लिया गया।