20 साल तक पेशाब के रास्ते मलत्याग करती रही युवती...

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20 साल तक पेशाब के रास्ते मलत्याग करती रही युवती...

गोरखपुर में बेटी के साथ उपेक्षा का दर्दनाक मामला सामने आया है। महराजगंज की युवती 20 वर्ष तक पेशाब के रास्ते मल-त्याग करती रही। जन्म के समय उसके शरीर में मलद्वार नहीं बना था। इसके कारण युवती लंबे समय तक पेशाब के रास्ते के संक्रमण (यूटीआई) का दर्द झेल


20 साल तक पेशाब के रास्ते मलत्याग करती रही युवती...
गोरखपुर में बेटी के साथ उपेक्षा का दर्दनाक मामला सामने आया है। महराजगंज की युवती 20 वर्ष तक पेशाब के रास्ते मल-त्याग करती रही। जन्म के समय उसके शरीर में मलद्वार नहीं बना था। इसके कारण युवती लंबे समय तक पेशाब के रास्ते के संक्रमण (यूटीआई) का दर्द झेला।

उसकी पढ़ाई छूट गई, रिश्तेदारी में जाने से वह हिचकने लगी। इसके कारण उसकी किडनी खराब होने लगी। युवती की शादी तय हुई तब जाकर परिवारीजनों को इलाज कराने की सुधि आई। करीब छह महीने पहले परिवारीजन उसे लेकर बीआरडी मेडिकल कॉलेज पहुंचे।

युवती को लेकर परिवारीजन पीडियाट्रिक सर्जन डॉ. रेनू कुशवाहा के पास पहुंचे। युवती को इस हाल में देखकर वह हैरान रह गई। आम तौर पर इस बीमारी से जूझने वाले मासूमों को जन्म के एक से दो महीने के अंदर ही परिवारीजन डॉक्टरों के पास लेकर पहुंच जाते हैं। इतनी बड़ी उम्र में पहली बार कोई मरीज बीआरडी इलाज के लिए पहुंचा।

हिंदुस्तान की रिपोर्ट के अनुसार डॉ. रेनू कुशवाहा ने बताया कि युवती की जांच की गई। जांच में पता चला कि युवती के शरीर में मल-द्वार बना ही नहीं। उसके बच्चेदानी में सुराख है। उसी के जरिए मल पेशाब के रास्ते से बाहर निकल रहा है। इसके कारण उसके शरीर से दुर्गन्ध निकल रही थी। युवती जितनी बार पेशाब करती उतनी ही बार मल निकला। इसके कारण अंत: वस्त्रों भी खराब हो जाते।

उन्होंने बताया कि यह एक जटिल ऑपरेशन था। इसमें मल द्वार को नए सिरे से बनाना, मलद्वार में संकुचन व फैलाव के लिए बने स्वींटर उत्तकों को सुरक्षित बचाना और बच्चेदानी की मरम्मत करना था। इस ऑपरेशन को तीन चरणों में किया गया। करीब पांच महीने पूर्व पहले चरण का ऑपरेशन हुआ। इसमें मल निकासी के लिए वैकल्पिक रास्ता बनाया गया।

तीन महीने पूर्व हुए दूसरे चरण के ऑपरेशन में नया मल द्वार बनाया गया। साथ ही बच्चेदानी में सुराख को बंद किया गया। अब जाकर तीसरे चरण का ऑपरेशन हुआ। इसमें मल निकासी के वैकल्पिक मार्ग को बंद कर दिया। युवती अब मलद्वार से मल निकासी कर रही है। आज डिस्चार्ज हो रही है। 10 दिन बाद दोबारा जांच के लिए बुलाया है।

युवती महराजगंज जिले की है। अपनी पीड़ा बताते हुए उसके आंखों से आंसू छलक गए। युवती ने बताया कि जब से होश संभाला तभी से इसके साथ जीने को मजबूर रही। स्कूल में पढ़ने के दौरान कई बार अंत:वस्त्र खराब हो गए। शरीर से निकलने वाली दुर्गन्ध के कारण कोई पास में बैठना नहीं चाहता था। इसके कारण स्कूल छोड़ा दिया। रिश्तेदारों के घर जाना बंद कर दिया। कोई दोस्त भी नहीं बना।