सरकार ने Tiktok और Helo को भेजा नोटिस, लग सकता है बैन

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सरकार ने Tiktok और Helo को भेजा नोटिस, लग सकता है बैन

सरकार ने चीनी सोशल मीडिया एप्स टिकटॉप, हेलो को नोटिस जारी किया है। सरकार ने इन एप्स से 21 सवाल पूछे हैं, और कहा कि अगर इनका उचित उत्तर नहीं मिला, तो इन्हें बैन किया जा सकता है। इससे पहले राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) से जुड़े संगठन ने रविवार को प


सरकार ने Tiktok और Helo को भेजा नोटिस, लग सकता है बैन
सरकार ने चीनी सोशल मीडिया एप्स टिकटॉप, हेलो को नोटिस जारी किया है। सरकार ने इन एप्स से 21 सवाल पूछे हैं, और कहा कि अगर इनका उचित उत्तर नहीं मिला, तो इन्हें बैन किया जा सकता है।

इससे पहले राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) से जुड़े संगठन ने रविवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से टिकटॉक (TikTok) और हेलो (Helo) जैसी चीनी सोशल मीडिया एप पर प्रतिबंध लगाने की मांग की थी। उनका आरोप था कि ये दोनों एप 'राष्ट्रविरोधी' तत्वों का अड्डा बन गए हैं।

इलेक्ट्रॉनिक्स एवं सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय ने यह नोटिस राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ से संबंधित संगठन स्वदेशी जागरण मंच की प्रधानमंंत्री मोदी से शिकायत के बाद जारी किया है।

अमर उजाला की रिपोर्ट के अनुसार मंत्रालय ने इन दोनों एप से इस आरोप पर भी जवाब मांगा है कि ये एप्स 'राष्ट्रविरोधी' गतिविधियों का अड्डा बन गए हैं। वहीं टिकटॉक के कहना है कि वे अगले तीन साल में स्थानीय कम्यूनिटी की जिम्मेदारी के लिये टेक्नोलॉजी इंफ्रास्ट्रक्चर डेवलप करने को लेकर 100  करोड़ डॉलर का निवेश करेगी।

पीएम मोदी को लिखे पत्र में स्वदेशी जागरण मंच (एसजेएम) के सह संयोजक अश्विनी महाजन ने दोनों एप को लेकर संगठन की चिंताएं रेखांकित की थीं। उनका आरोप था दोनों एप भारत के युवाओं के 'निहित हितों' से प्रभावित होने का माध्यम बन रहे हैं, और हाल के सप्ताहों में 'टिकटॉक' राष्ट्रविरोधी सामग्री का अड्डा बन गया है, जिसे एप पर व्यापक रूप से साझा किया जा रहा है जो हमारे समाज के तानेबाने को नुकसान पहुंचा सकता है।

इतना ही नहीं, उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि 'हेलो' एप द्वारा अन्य सोशल मीडिया मंचों पर 11 हजार से अधिक विरूपित राजनीतिक विज्ञापनों के लिए सात करोड़ रुपये का भुगतान करने का पता चला है। उन्होंने कहा, 'इन विज्ञापनों में से कुछ में वरिष्ठ भारतीय नेताओं की विरूपित की गई तस्वीरों का इस्तेमाल किया गया। भाजपा के पदाधिकारियों ने स्वयं पिछले आम चुनावों के दौरान इन चिंताओं को लेकर चुनाव आयोग को पत्र लिखे थे।'