कर्ज में डूबी एयर इंडिया की 100 फीसदी हिस्सेदारी बेचेगी सरकार!

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कर्ज में डूबी एयर इंडिया की 100 फीसदी हिस्सेदारी बेचेगी सरकार!

लगातार विनिवेश की कोशिश में नाकाम एकमात्र सरकारी विमानन कंपनी एयर इंडिया अपना खर्च नहीं चला रही जिसको देखते हुए केंद्र सरकार ने एयर इंडिया को बेचने के लिए नए प्लान से विचार करना शुरू कर दिया है। इसके तहत सरकार एयर इंडिया की 100 फीसदी हिस्सेदारी बेच


कर्ज में डूबी एयर इंडिया की 100 फीसदी हिस्सेदारी बेचेगी सरकार!
लगातार विनिवेश की कोशिश में नाकाम एकमात्र सरकारी विमानन कंपनी एयर इंडिया अपना खर्च नहीं चला रही जिसको देखते हुए केंद्र सरकार ने एयर इंडिया को बेचने के लिए नए प्लान से विचार करना शुरू कर दिया है। इसके तहत सरकार एयर इंडिया की 100 फीसदी हिस्सेदारी बेच सकती है। हालांकि इस संबंध में आखिरी फैसला मंत्रियों के एक पैनल द्वारा लिया जाना है। निवेश एवं सार्वजनिक संपत्ति प्रबंधन (दीपम) के सचिव अतानु चक्रवर्ती ने यह जानकारी दी है।
उन्होंने कहा, सरकार का मानना है कि अगर निवेशक कंपनी की पूरी हिस्सेदारी खरीदना चाहते हैं तो ठीक है। लेकिन मैं इस बारे में तभी बताऊंगा, जब इस पर फैसला ले लिया जाएगा। मेरा व्यक्तिगत तौर पर मानना है कि मैं इसमें सरकार की तरफ से कोई अड़चन नहीं देखता हूं।
विमानन कंपनी को पिछले साल बेचने की मुहिम नाकाम होने के बाद सरकार इसे बेचने के लिए एक बार फिर सक्रिय हुई है। हालांकि, सरकार ने पिछले साल इसकी बिक्री को होल्ड पर रखने का कारण कच्चे तेल की कीमतों में अस्थिरता बताया था। नीति आयोग ने कंपनी की पूरी हिस्सेदारी बेचने का प्रस्ताव दिया था, लेकिन सरकार ने एक रणनीतिक निवेशक को 74 फीसदी हिस्सेदारी बेचने की पेशकश की थी, जो इसके न बिकने का बड़ा कारण बताया गया था। ऐसे में अब सरकार ने कंपनी की 100 फीसदी हिस्सेदारी बेचने का फैसला लिया है।
कंपनी में कितनी हिस्सेदारी बेची जाएगी इसका फैसला मंत्रियों का एक पैनल लेगा, क्योंकि सरकार चालू वित्त वर्ष के अंत तक इसे बेच देना चाहती है। चक्रवर्ती ने कहा, हम अब इसे जल्द से जल्द अंजाम देना चाहते हैं और बहुत सारा पेपर वर्क कर लिया गया है।
गौरतलब है कि एयर इंडिया में हिस्सेदारी बेचने की बात को दोहराते हुए केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने एविएशन सेक्टर में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश की ऊपरी सीमा की समीक्षा करने की भी घोषणा की थी, जो फिलहाल 49 फीसदी है। वित्त मंत्री के इस कदम से विदेशी विमानन कंपनियों को भारतीय विमानन कंपनियों में अधिक से अधिक हिस्सेदारी खरीदने की मंजूरी मिलेगी।