अयोध्या में मंदिर निर्माण पर हिन्दू और मुसलमानों में नहीं हो सका समझौता

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अयोध्या में मंदिर निर्माण पर हिन्दू और मुसलमानों में नहीं हो सका समझौता

एसपी मित्तल अयोध्या में भगवान राम के जन्म स्थल पर भव्य मंदिर बने इस पर मुस्लिम पक्षकारों की सहमति नहीं हो सकी है। इसलिए अब सुप्रीम कोर्ट में 6 अगस्त से रोजाना सुनवाई होगी। दो अगस्त को चीफ जस्टिस रंजन गोगोई ने कहा कि कोर्ट ने जो मध्यस्थता कमेटी बनाई


अयोध्या में मंदिर निर्माण पर हिन्दू और मुसलमानों में नहीं हो सका समझौता
एसपी मित्तल 
अयोध्या में भगवान राम के जन्म स्थल पर भव्य मंदिर बने इस पर मुस्लिम पक्षकारों की सहमति नहीं हो सकी है। इसलिए अब सुप्रीम कोर्ट में 6 अगस्त से रोजाना सुनवाई होगी। दो अगस्त को चीफ जस्टिस रंजन गोगोई ने कहा कि कोर्ट ने जो मध्यस्थता कमेटी बनाई थी, वह अपने उद्देश्य में कामयाब नहीं रही है। यानि अयोध्या में भगवान राम का मंदिर बनाए जाने पर मुस्लिम पक्षकारों ने सहमति नहीं दी।

मुस्लिम पक्षकार इस विवादित भूमि पर फिर से बाबरी मस्जिद का निर्माण चाहते हैं। कोर्ट ने चार माह पहले जस्टिस कलीफुल्ला की अध्यक्षता में तीन सदस्य मध्यस्थता कमेटी का गठन किया था। इस कमेटी में आर्ट ऑफ लिंविग के प्रणेता श्रीश्री रविशंकर और जाने माने वकील श्रीराम पांचू को शामिल किया। कमेटी ने कई बार हिन्दू और मुसलमानों के प्रतिनिधियों से संवाद किया, लेकिन दोनों पक्ष अपनी अपनी मांग पर अड़े रहे। हिन्दुओं के प्रतिनिधियों का कहना था कि पुरातत्व विभाग की जांच में भी यह बात साफ हो गई है कि अयोध्या में भगवान राम का भव्य मंदिर था जिसे तोड़ कर मस्जिद का निर्माण किया गया।

लेकिन मुस्लिम पक्षकार अपना मस्जिद का दावा छोडऩे को तैयार नहीं थे। जस्टिस गोगोई ने कहा कि जब मध्यस्थता कमेटी समझौता करवाने में कामयाब नहीं रही है तब अब 6 अगस्त से सुप्रीम कोर्ट में रोजाना इस मामले की सुनवाई होगी। यानि सुप्रीम कोर्ट अब विवादित भूमि पर मालिकाना हक के मामले पर सुनवाई करेगा। जस्टिस गोगोई ने साफ कर दिया है कि इस मामले पर जुड़े सभी पक्षकार अपनी अपनी तैयारी कर लें। जिन दस्तावेजों का अनुवाद करवाना है, उनका अनुवाद भी पांच अगस्त तक करवा लिया जाए।

सुनवाई के पहले दौर में हिन्दू पक्षकार निर्मोही अखाड़ा और रामलाल विराजमान अपना पक्ष रख सकेंगे। उल्लेखनीय है कि मध्यस्थता कमेटी की सफलता के लिए जस्टिस गोगोई ने कमेटी की कार्यवाही की रिपोर्टिंग पर भी रोक लगा दी थी। जस्टिस गोगोई चाहते थे कि इस विवाद का निपटारा आपसी सहमति से कर लिया जाए, लेकिन कमेटी को इसमें सफलता नहीं मिली।