मकान खरीदारों को राहत, अब प्रेफरेंशियल लोकेशन और पार्किंग पर भी 5 प्रतिशत GST
केंद्र सरकार द्वारा निर्माणाधीन मकानों पर जीएसटी की एक दर तय करने के बावजूद बिल्डरों द्वारा विभिन्न सुविधाओं पर अलग-अलग जीसटी दर वसूलने पर जीएसटी प्राधिकार ने लगाम कस दिया है। पश्चिम बंगाल में अथॉरिटी ऑन अडवांस रूलिंग ने अपने फैसले में कहा है कि अपा
केंद्र सरकार द्वारा निर्माणाधीन मकानों पर जीएसटी की एक दर तय करने के बावजूद बिल्डरों द्वारा विभिन्न सुविधाओं पर अलग-अलग जीसटी दर वसूलने पर जीएसटी प्राधिकार ने लगाम कस दिया है। पश्चिम बंगाल में अथॉरिटी ऑन अडवांस रूलिंग ने अपने फैसले में कहा है कि अपार्टमेंट में प्रेफरेंशियल लोकेशन और कार पार्किंग जैसी सुविधाओं को कंपोजिट कंस्ट्रक्शन सर्विस ही माना जाएगा और इनपर भी जीएसटी की वही दर लगेगी, जो मकान पर लागू हो रही है।
इस फैसले के बाद अब बिल्डरों को किफायती मकानों से जुड़ी सेवाओं पर पांच फीसदी जीएसटी और अन्य मकानों के लिए आठ फीसदी जीएसटी वसूलना होगा। शीर्ष बिल्डरों सहित कई बिल्डर इन सेवाओं पर 18 फीसदी जीएसटी वसूल रहे थे, जबकि केंद्र सरकार निर्माणाधीन मकानों पर लगने वाली जीएसटी दर को कम कर चुकी है।
कंसल्टिंग फर्म केपीएमजी में पार्टनर हरप्रीत सिंह ने कहा, प्रेफरेंशियल लोकेशन चार्जेज, पार्किंग चार्जेज, ट्रांसफर फीस, एक्सटर्नल डेवलपमेंट चार्जेज, इंटरनल डेवलपमेंट चार्जेज, डॉक्युमेंट चार्जेज जैसे एंसीलरी चार्जेज पहले के सर्विस टैक्स की व्यवस्था में भी विवाद के मुद्दे थे। इस फैसले से स्पष्ट हो गया है कि इस तरह की सुविधाओं पर भी कम टैक्स लगेगा और उसकी दर वही होगी, जो मकान पर लागू होती है।
उन्होंने कहा, प्रेफरेंशियल चार्जेज, राइट टु यूज कार पार्किंग इत्यादि पर लगने वाले टैक्स पर पहले बहुत गोरखधंधा होता था, लेकिन अब संशय दूर हो गया है। निर्माणाधीन मकानों के मामले में ऐसी सुविधाओं पर पांच फीसदी की जीएसटी लगेगी।
इस फैसले के बाद अब बिल्डरों को किफायती मकानों से जुड़ी सेवाओं पर पांच फीसदी जीएसटी और अन्य मकानों के लिए आठ फीसदी जीएसटी वसूलना होगा। शीर्ष बिल्डरों सहित कई बिल्डर इन सेवाओं पर 18 फीसदी जीएसटी वसूल रहे थे, जबकि केंद्र सरकार निर्माणाधीन मकानों पर लगने वाली जीएसटी दर को कम कर चुकी है।
कंसल्टिंग फर्म केपीएमजी में पार्टनर हरप्रीत सिंह ने कहा, प्रेफरेंशियल लोकेशन चार्जेज, पार्किंग चार्जेज, ट्रांसफर फीस, एक्सटर्नल डेवलपमेंट चार्जेज, इंटरनल डेवलपमेंट चार्जेज, डॉक्युमेंट चार्जेज जैसे एंसीलरी चार्जेज पहले के सर्विस टैक्स की व्यवस्था में भी विवाद के मुद्दे थे। इस फैसले से स्पष्ट हो गया है कि इस तरह की सुविधाओं पर भी कम टैक्स लगेगा और उसकी दर वही होगी, जो मकान पर लागू होती है।
उन्होंने कहा, प्रेफरेंशियल चार्जेज, राइट टु यूज कार पार्किंग इत्यादि पर लगने वाले टैक्स पर पहले बहुत गोरखधंधा होता था, लेकिन अब संशय दूर हो गया है। निर्माणाधीन मकानों के मामले में ऐसी सुविधाओं पर पांच फीसदी की जीएसटी लगेगी।