समाज के लिए बेहतर है अंतर-जातीय और अंतर-धार्मिक विवाह: सुप्रीम कोर्ट

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समाज के लिए बेहतर है अंतर-जातीय और अंतर-धार्मिक विवाह: सुप्रीम कोर्ट

नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने साफ कर दिया है कि वह अंतर-धार्मिक और अंतर-जातीय विवाह के खिलाफ नहीं हैं। साथ ही कहा कि इस तरह की शादियों से समाजवाद को बढ़ावा मिलेगा। जस्टिस अरुण मिश्रा और एमआर शाह की पीठ ने कहा कि अगर दो लोग कानून के तहत शादी करते हैं त


समाज के लिए बेहतर है अंतर-जातीय और अंतर-धार्मिक विवाह: सुप्रीम कोर्ट
नई दिल्‍ली।  सुप्रीम कोर्ट ने साफ कर दिया है कि वह अंतर-धार्मिक और अंतर-जातीय विवाह के खिलाफ नहीं हैं। साथ ही कहा कि इस तरह की शादियों से समाजवाद को बढ़ावा मिलेगा।

जस्टिस अरुण मिश्रा और एमआर शाह की पीठ ने कहा कि अगर दो लोग कानून के तहत शादी करते हैं तो हिंदू-मुस्लिम विवाह भी स्‍वीकार्य है. इसमें लोगों को क्‍या समस्‍या हो सकती है?

मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार जस्टिस मिश्रा ने कहा कि अगर इस तरह की शादियों से जातीय भेद खत्‍म होता तो ये अच्‍छा है. कथित ऊंची और और नीची जातियों के लोगों के बीच विवाह होना चाहिए. ऐसी शादियां समाजवाद के लिए अच्‍छी हैं।