दिल्ली में हिकविजन कंपनी के CCTV कैमरे लगाएगी केजरीवाल सरकार!

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दिल्ली में हिकविजन कंपनी के CCTV कैमरे लगाएगी केजरीवाल सरकार!

नई दिल्ली। दिल्ली की केजरीवाल सरकार चीन सरकार की बदनाम कंपनी हिकविजन के सीसीटीवी कैमरे दिल्ली में लगाने जा रही है। इस कंपनी को बड़े-बड़े देशों अमेरिका और ब्रिटेन ने बैन किया है। पिछले दिनों इन्हीं सीसीटीवी लगाने के विरोध में कांग्रेस ने रविवार को मा


दिल्ली में हिकविजन कंपनी के CCTV कैमरे लगाएगी केजरीवाल सरकार!
नई दिल्ली। दिल्ली की केजरीवाल सरकार चीन सरकार की बदनाम कंपनी हिकविजन के सीसीटीवी कैमरे दिल्ली में लगाने जा रही है। इस कंपनी को बड़े-बड़े देशों अमेरिका और ब्रिटेन ने बैन किया है। पिछले दिनों इन्हीं सीसीटीवी लगाने के विरोध में कांग्रेस ने रविवार को मार्च निकाला था। मिली जानकारी के अनुसार दिल्ली में 1.5 लाख सीसीटीवी कैमरे लगाने का ठेका सरकारी कंपनी भारत इलेक्ट्रॉनिक्स लिमिटेड को दिया गया है। तो अब सवाल ये है कि दिल्ली में अगर हिकविजन कंपनी के कैमरे लगते हैं उसका चीन की सरकार, चीन की आर्मी से संबंध क्या है? चीन की सरकार जिस हिकविजन कंपनी की मालिक है उसी चीन सरकार वाली कंपनी के सीसीटीवी कैमरे दिल्ली में लगाए जाने हैं।
हिकविजन की 2018 की सालाना रिपोर्ट के पन्ने खंगाले गए तो पाया कि कंपनी में कंट्रोलिंग शेयर होल्डर यानी असली मालिक चीन की सरकार ही है। तो क्या इसका मतलब ये है कि चीन की सरकार से जुड़ी कंपनी का सीसीटीवी कैमरा दिल्ली में लगने से देश की राजधानी पर एक खतरा हो सकता है? इसके बारे में साइबर एक्सपर्ट आदित्य जैन ने कहा कि चीन के कैमरे भारत के लिए सबसे बड़ा खतरा हैं। दावा है चीन अपने देश में खुद 20 करोड़ से ज्यादा सीसीटीवी कैमरे लगा चुका है। चीन में ऐसा वीडियो सर्विलांस नेटवर्क बन चुका है, जहां कोई भी कहीं भी जाए, कहीं से भी आए वो चीन सरकार के सीसीटीवी कैमरों की नजर में रहता है। चीन की सरकार ने इनमें ऐसे आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस वाले कैमरे भी लगाए हैं, जो आदमी का चेहरा डिटेक्ट करके उससे जुड़ी हर जानकारी पा सकती है।
चीन के कैमरे दिल्ली में लगाए जाने पर आम आदमी पार्टी (आप) नेता संजय सिंह ने कहा कि बीईएल के कैमरे लगे हैं, मेट्रो में लगे हैं, बैन है तो ये यहां क्यों लगा है. हमने कम दाम दिए हैं और नियमों का पालन किया है। अमेरिका में चीन की सरकार के अधीन आने वाली कंपनी हिकविजन के सीसीटीवी कैमरे आने का सिर्फ विरोध नहीं हुआ है। बल्कि अमेरिका में कानून बनाकर हिकविजन से वीडियो सर्विलेंस सर्विस लेने पर पाबंदी लगा दी गई है। हिकविजन के कैमरों पर ब्रिटेन की संसद में सांसद करीन ली भी सवाल उठा चुकी हैं।