ख्वाजा गरीब नवाज के पीर-ओ-मुर्शिद हज़रत ख़्वाजा उस्मान-ए-हारूनी का कुल शरीफ

डंके की चोट पर 'सिर्फ सच'

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ख्वाजा गरीब नवाज के पीर-ओ-मुर्शिद हज़रत ख़्वाजा उस्मान-ए-हारूनी का कुल शरीफ

दानिश उमरी, आगरा। दरगाह हज़रत ख्वाजा शैख़ सैय्यद फतिहउद्दीन बल्खी अलमारूफ़ ताराशाह चिश्ती साबरी कम्पाउंड आगरा क्लब आगरा में शहंशाह-ए-हिन्दोस्तान हज़रत ख्वाजा मुईनुद्दीन चिश्ती अजमेरी के पीर-ओ-मुर्शिद हज़रत ख़्वाजा उस्मान-ए-हारूनी चिश्ती मक्की रहमतुल्लाह अ


ख्वाजा गरीब नवाज के पीर-ओ-मुर्शिद हज़रत ख़्वाजा उस्मान-ए-हारूनी का कुल शरीफ
दानिश उमरी, आगरा।   दरगाह हज़रत ख्वाजा शैख़ सैय्यद फतिहउद्दीन बल्खी अलमारूफ़ ताराशाह चिश्ती साबरी कम्पाउंड आगरा क्लब आगरा में  शहंशाह-ए-हिन्दोस्तान हज़रत ख्वाजा मुईनुद्दीन चिश्ती अजमेरी के पीर-ओ-मुर्शिद हज़रत ख़्वाजा उस्मान-ए-हारूनी चिश्ती मक्की रहमतुल्लाह अलैह के उर्स मुबारक के मौके पर ईद की छह तारीख को कुल शरीफ का आयोजन किया गया ।
कुल शरीफ में तोशा शरीफ पर फ़ातिहा ख्वानी दरबार -ए-मरकज़ साबरी के सज्जादानशीन आले पंजतनी पीर अलहाज रमज़ान अली शाह ने तमाम हाजरीन और मुरीदेनो के बीच पढ़ी और मुल्क के अमन चैन व हाजरीनो , मुरीदेनो की फलाहियत की खास दुआ की गई । दरग़ाह मरकज़ साबरी के महासचिव विजय कुमार जैन ने इस मौके पर सलाम पढ़ा । दुआ करते हुए पीर साहब ने कहा कि कुल शरीफ में हाजरी देने वालो की हाजरी ख्वाजा उस्मान-हारूनी की बारगाह में हुई है । इन बुज़ुर्गों के यहाँ किसी प्रकार का धार्मिक मतभेद नहीं होता है इनके तो पैग़ाम ही सर्वधार्मिक एकता के होते है । फ़ातिहा ख्वानी के मौके पर सभी सर्वधार्मिक लोगों ने मासूम ट्विंकल शर्मा की जघन्य हत्या पर अपना आक्रोश व्यक्त करते हुए अश्रुपूर्ण नेत्रों से श्रद्धांजलि अर्पित की और पीर साहब ने कहा कि ऐसे हत्यारों को फांसी की सजा शीघ्र अतिशीघ्र दी जानी चाहिए । ऐसे लोग मानवता के दुश्मन है इनको समाज मे रहने का कोई अधिकार नहीं है । ऐसे लोग देश व समाज के लिए बहुत खतरनाक होते हैं ।
बुज़ुर्गों की बारगाह के हवाले से बोलते हुए पीर साहब ने कहा कि इन बुज़ुर्गों की बारगाह में हाज़िर होकर इंसान अपने आप मे सुकून महसूस करते हैं तथा अपने दामनो को मुरादों से भरा हुआ पाते हैं । अकीदत की खुशबू से हर फ़िज़ा महक उठी । आले पंजतनी पीर अलहाज रमज़ान अली शाह ने करते हुए कहा कि बुज़ुर्गों के दरबार मे इंसान को इंसान से जोड़ने का कार्य किया जाता है और इन दरबारों से हमेशा एकता , मुहब्बत और सौहार्दता का वातावरण तैयार करके भेदभाव को समाप्त किया जाता है । आज का इंसान दिन प्रतिदिन एक दूसरे को धोखा, कपट , लूटपाट, झूठ सच मे ही फस कर रह गया है , लेकिन अगर इंसान चाहता है कि उसका जीवन सही सदमार्गी हो तो उसको चाहिए कि सद्गुरु की राह पकड़ ले क्योंकि भारत देश हमेशा से ही ऋषि मुनियों , साधु संतों, पीर फकीरों की जननी रहा है । यह भी सामने है कि जिन लोगों ने प्रेम और भाईचारे का संदेश दिया आज उन्हीं की बात कही जाती रही है कि आपस में प्रेम करो , शांति बनाए रखो ।
कार्यक्रम में राष्ट्रीय महासचिव विजय कुमार जैन ने कहा कि आज मनुष्य शान्ति की चाह में जगह जगह भटकता हुआ घूमता है लेकिन शान्ति उसके मन के किसी कोने में ही छुपी हुई होती है । आज ज़रूरत इस बात की है कि हम आध्यात्म के रास्ते अपनाए । आध्यात्मिक लोगों से सम्पर्क करें । जब हम आध्यात्म के रास्ते पर सच्चाई से चल पड़ेंगे और आद्यात्मिक्ता का प्रचार प्रसार करने वाले सूफी संतो से जुडेंगे तो शान्ति और समृद्धि खुद बखुद जीवन में कायम हो जाएगी । ये बुज़ुर्गों की दुआओ और उपदेशों का ही असर है । इन बुज़ुर्गों की बारगाह में न कोई छोटा है ना कोई बड़ा बल्कि बुज़ुर्गों की नज़र में सब यकसाँ हैं । जिसकी जितनी अकीदत है उसका उतना ही दामन भरा नज़र आता है ।
कुल शरीफ में महासचिव विजय कुमार जैन ने ये शेर पढ़ा जिसे लोगो ने खूब पसंद किया
मुझे ग़मज़दा देखकर वो ये बोले , हमारा है तू बेसहारा नहीं है ।
हो रुसवाई मेरी मेरी आँख नम हो , मेरे यार को ये ग़वारा नहीं है ।।
कार्यक्रम का संचालन महासचिव विजय कुमार जैन ने किया ।
कुल शरीफ के मौके पर लंगर का  आयोजन किया गया ।
कुल शरीफ के मौके पर श्री बुन्दू खान साबरी , महासचिव विजय कुमार जैन, हाजी इमरान अली शाह, हाजी कासिम अली शाह, अब्दुल सईद खान, उमेश चंदेल, मनोज साबरी, सईद साबरी, जयसिंह, अनिल साबरी,  हाफिज इस्लाम कादरी, तरुण साबरी, रफ़ीक़ साबरी, करुण साबरी, आशीष साबरी, रमज़ान खान , जहीर साबरी, सलमान साबरी, बशीर साबरी, नाज़िम साबरी, अभिनंदन जैन , प्रांशु जैन, गुलाम-ए-आले पंजतनी ज़ैनुलआब्दीन शाह साबरी, गुरुप्यारी साबरी, अंजू सिंह साबरी, कमलेश जैन, प्रियांशी जैन, मालती जैन, माया साबरी,  अफसाना बेगम, मुन्नी साबरी, गायत्री साबरी आदि बहुतायत में उपस्थित रहे ।