अन्तिम सांसे गिन रहा है उत्तर प्रदेश सरकार का श्रम विभाग
राकेश पाण्डेय गाजीपुर। जिले के कमजोर तबके को उपर उठाने के लिए देश के प्रधानमंत्री व सूबे के मुख्यमंत्री लगातार प्रयास कर रहे है बावजूद इसके वाराणसी आजमगढ़, गोरखपुर, विन्ध्य मण्डलों के जनपदों की व्यवस्था को संचालित करने के लिए महत्वपूर्ण भूमिका निभाने
राकेश पाण्डेय
गाजीपुर। जिले के कमजोर तबके को उपर उठाने के लिए देश के प्रधानमंत्री व सूबे के मुख्यमंत्री लगातार प्रयास कर रहे है बावजूद इसके वाराणसी आजमगढ़, गोरखपुर, विन्ध्य मण्डलों के जनपदों की व्यवस्था को संचालित करने के लिए महत्वपूर्ण भूमिका निभाने वाले श्रम विभाग के जिला स्तरीय कार्यालयों के हालात काफी बदतर है।
कर्मचारियों की कमी व जर्जर हालात में मौजूद विभाग के भवन आये दिन दुर्घटनाओं को आमंत्रण देते हैं। ऐसे में विभाग की ओर से जनसहयोग के कार्य कितनी तत्परता से आगे बढ़ रहे है। स्वतः ही प्रमाणित होता है।
वाराणसी मण्डल के गाजीपुर जिले के विभाग के सहायक श्रमायुक्त बैठते है। विभाग के पास न तो शौचालय है न ही पेशाब घर।
यहां तक कि पानी के लिये सप्लाई की पाइप भी नही है। लेहाजा विभाग में काम कर रहे गिनती के लोग पानी ले आने के लिए अलग से इंतजाम करते है। वर्ष 1908 में सुरक्षा के लेहाज से अयोग्य घोषित कर दी गयी बिल्डिंग में बैठे श्रमायुक्त एक चपरासी व एक कम्प्यूटर बाबू के सहारे विकास की गंगा बहा रहा है। केन्द्र व प्रदेश सरकार के बढ़ते काम व दबाव के चलते आई0टी0 सेल के कुछ कर्मचारी यहां आये है जो कम्प्यूटर की फीडिंग व रिकार्ड ठीक करने में ही परेशान रहते है। विभाग की बहुत सारी ऐसी फाइले है जो बरसात व सीड़न के चलते अस्तित्व खो चुके है। कई बार तो छत का प्लास्टर भी गिरने लगता है। संजोग ही है कि किसी कर्मचारी को चोट नही आयी है।
गाजीपुर। जिले के कमजोर तबके को उपर उठाने के लिए देश के प्रधानमंत्री व सूबे के मुख्यमंत्री लगातार प्रयास कर रहे है बावजूद इसके वाराणसी आजमगढ़, गोरखपुर, विन्ध्य मण्डलों के जनपदों की व्यवस्था को संचालित करने के लिए महत्वपूर्ण भूमिका निभाने वाले श्रम विभाग के जिला स्तरीय कार्यालयों के हालात काफी बदतर है।
कर्मचारियों की कमी व जर्जर हालात में मौजूद विभाग के भवन आये दिन दुर्घटनाओं को आमंत्रण देते हैं। ऐसे में विभाग की ओर से जनसहयोग के कार्य कितनी तत्परता से आगे बढ़ रहे है। स्वतः ही प्रमाणित होता है।
वाराणसी मण्डल के गाजीपुर जिले के विभाग के सहायक श्रमायुक्त बैठते है। विभाग के पास न तो शौचालय है न ही पेशाब घर।
यहां तक कि पानी के लिये सप्लाई की पाइप भी नही है। लेहाजा विभाग में काम कर रहे गिनती के लोग पानी ले आने के लिए अलग से इंतजाम करते है। वर्ष 1908 में सुरक्षा के लेहाज से अयोग्य घोषित कर दी गयी बिल्डिंग में बैठे श्रमायुक्त एक चपरासी व एक कम्प्यूटर बाबू के सहारे विकास की गंगा बहा रहा है। केन्द्र व प्रदेश सरकार के बढ़ते काम व दबाव के चलते आई0टी0 सेल के कुछ कर्मचारी यहां आये है जो कम्प्यूटर की फीडिंग व रिकार्ड ठीक करने में ही परेशान रहते है। विभाग की बहुत सारी ऐसी फाइले है जो बरसात व सीड़न के चलते अस्तित्व खो चुके है। कई बार तो छत का प्लास्टर भी गिरने लगता है। संजोग ही है कि किसी कर्मचारी को चोट नही आयी है।