19 साल की उम्र में हुई शादी, बच्चे होने के बाद पढ़ी और बनी कंपनी की CEO

डंके की चोट पर 'सिर्फ सच'

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19 साल की उम्र में हुई शादी, बच्चे होने के बाद पढ़ी और बनी कंपनी की CEO

मुंबई। फेसबुक पेज Humans of Bombay ने एक शानदार कहानी शेयर की है। ये कहानी प्रीति राठी गुप्ता की है। जो अपनी खुद की फिल्म प्रोडक्शन कंपनी चलाती हैं। प्रीति कहती हैं "मुझे नहीं पता क्यों, पर मुझे हमेशा लोगों को खुश करने और 'परफेक्ट' होने की जरूरत रही


19 साल की उम्र में हुई शादी, बच्चे होने के बाद पढ़ी और बनी कंपनी की CEO
मुंबई। फेसबुक पेज Humans of Bombay ने एक शानदार कहानी शेयर की है। ये कहानी प्रीति राठी गुप्ता की है। जो अपनी खुद की फिल्म प्रोडक्शन कंपनी चलाती हैं।

प्रीति कहती हैं "मुझे नहीं पता क्यों, पर मुझे हमेशा लोगों को खुश करने और 'परफेक्ट' होने की जरूरत रही थी। जब मेरे माता-पिता ने मेरी शादी करने का फैसला किया- मैं सहमत हो गयी और 19 साल की उम्र में मेरी शादी हुई। मैंने सोचा कि कैसे भी शादी के बाद में अपनी पढाई पूरी कर लुंगी। लेकिन मैं एक लिबरल परिवार (जहां मेरे पिता मुझे हमेशा मेरे माथे पर किस करते) से एक रूढ़िवादी परिवार में गयी, जहां मेरे ससुर मुझसे बात करते समय मेरी तरफ देखते भी नहीं थे। मुझे साड़ी पहननी पड़ती और मेरे सिर को ढक कर रखना होता। फिर भी, मैंने अपने आप को संभालकर खुश होने की कोशिश की और दूसरों को खुश रखने की भी।

जब मैंने अपनी सास को बताया कि मैं पढ़ना चाहती हूँ, तो उन्होंने इनकार कर दिया। उन्होंने कहा कि हम पर बहुत से सामाजिक दायित्व हैं, इसलिए मैंने इसे जाने दिया क्योंकि मैं उन्हें खुश रखना चाहती थी। मैंने परिवार पर ध्यान दिया और जल्द ही मां भी बन गई। मेरे दूसरे बच्चे के होने के बाद, मैंने अपने जीवन पर विचार करना शुरू कर दिया और महसूस किया कि मैं पढ़ना चाहती हूँ और खुद को कुछ बनाना चाहती हूँ... कि मैं सिर्फ दूसरों के लिए 'परफेक्ट' होने की कोशिश कर रही हूँ। तो, मैंने एसपी जैन कॉलेज में आवेदन किया और दाखिला ले लिया! जब मैंने कॉलेज जाना शुरू किया, तो मेरी सास ने मुझसे बात करना बंद कर दिया, क्योंकि 'घर पर छोटे बच्चे को कौन छोड़ता है?' यह बहुत मुश्किल दौर था - मुझे अपना पहला सप्ताह याद है, जब मैं घर आयी और मेरे बेटे ने नौकरानी को 'माँ' कहा - इससे मेरा दिल टूट गया, मुझे लगा कहीं मैंने गलत फैसला तो नहीं लिया। लेकिन मैंने पीछे हटने से इनकार कर दिया- क्योंकि यह मेरा फैसला था।

मैंने पहले से भी ज्यादा कड़ी मेहनत की- मैं अपनी कक्षा में सबसे ज्यादा उम्र की थी, लेकिन मैंने इसे फायदे के तौर पर देखा। मैं घर आने के बाद बच्चों को सुलाकर अपने असाइनमेंट पर काम करती थी। मेरे पति ने मेरी बहुत मदद की- मेरे लिए वह बहुत गर्व का पल था जब मैंने सूट पहनकर क्लास में एक प्रेजेंटेशन दिया था!

मैंने अच्छे नंबरों के साथ स्नातक की उपाधि प्राप्त की और मुझे लगता है कि शायद इस दौरान, मेरी सास को भी इसकी आदत पड़ गयी। उसके बाद, मैंने अपने पति को हमारी स्टॉक ब्रोकिंग फर्म शुरू करने में मदद की और फिर अपना खुद का कमोडिटी बिजनेस शुरू किया। एक बार जब किसी बड़े उद्योगपति ने मेरे ससुर को बताया कि वह मुझसे बहुत प्रभावित है- उन सभी को बहुत गर्व हुआ! मुझे याद आया है कि एक बार मेरी सास फोन पर किसी को बता रही थी कि 'मेरी बहू बहुत बड़ा काम करती है और सिर्फ घर पर नहीं बैठती' और जब मैंने यह सुना तो मुझे लगा कि, 'आख़िरकार, मुक्ति'!

और मैंने पढ़ाई जारी रखी- मैंने हार्वर्ड के लिए आवेदन किया और मुझे एडमिशन मिल गया! आज, मैं अपनी खुद की फिल्म प्रोडक्शन कंपनी चलाती हूँ और काम और घर दोनों को संभालती हूँ। घूंघट से स्कर्ट तक, मेरे सफर का एक बड़ा सबक रहा है - कि आप कभी भी 'परफेक्ट' नहीं हो सकते हैं और किसी भी चीज़ के लिए 'सही समय' नहीं होता है। मुझे देखो, मैंने मेरी ज़िन्दगी उल्टे क्रम में जी है - शादी, बच्चे डिग्री और अब एक सीईओ!