IAS अफसर बने मौलाना शाहिद खान, बोले- कामयाबी के पीछे मदरसे से हासिल की हुई तालीम का बड़ा हाथ
लखनऊ। आजमगढ़ जनपद में स्थित मशहूर दीनी मदरसे जामिया अशरफिया मुबारकपुर के एक फ़ाज़िल ने जो कुछ किया है उस पर पूरे देश के मदरसों को गर्व है। मौलाना शाहिद रज़ा खान नामी इस फ़ाज़िल ने भारत के सबसे बड़े कॉम्पटीशन यूपीएससी में कामयाबी हासिल की है। मौलाना शाहिद र
लखनऊ। आजमगढ़ जनपद में स्थित मशहूर दीनी मदरसे जामिया अशरफिया मुबारकपुर के एक फ़ाज़िल ने जो कुछ किया है उस पर पूरे देश के मदरसों को गर्व है। मौलाना शाहिद रज़ा खान नामी इस फ़ाज़िल ने भारत के सबसे बड़े कॉम्पटीशन यूपीएससी में कामयाबी हासिल की है।
मौलाना शाहिद रज़ा खान ने कहा कि यूपीएससी में कामयाबी के पीछे मदरसे से हासिल की हुई तालीम का भी बड़ा हाथ है। क्योंकि मदरसे ने मुझे आत्माविश्वास देने का काम किया है,आत्माविश्वास और अल्लाह पर भरोसा करके मैनें ये बड़ा कॉम्पटीशन क्लियर किया है।
शाहिद ने मदरसा अशरफिया से पढ़ाई पूरी करने केबाद जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय में बीए और एमए की पढ़ाई करी है और वहीं से पीएचडी कर रहे हैं।
शाहिद JNU के उसी माही मांडवी होस्टल में थे जिसमें नजीब अहमद थे, जब ABVP के गुंडों ने नजीब की पिटायी करनी शुरू कि थी तब शाहिद ही सबसे पहले उसे बचाने के लिए पहुंचे थे। मुझे यकीन है कि आज अपनी कामयाबी पर ये अपने दोस्त नजीब अहमद को बहुत याद कर रहे होंगे ! कितना ज़्यादा दर्द है इस कामयाबी के पीछे।
शाहिद रज़ा खान भी जेएनयू के उसी माही मांडवी हॉस्टल का छात्र था जहां नजीब रहता था. शाहिद ही वो एक अकेला ऐसा छात्र था जिसने मीडिया के सामने आकर नजीब के साथ हुई सारी घटना बयां की थी. शाहिद नजीब की मां फातिमा नफीस के साथ भी प्रेस कांफ्रेंस में शामिल रहे थे.
मौलाना शाहिद रज़ा खान ने कहा कि यूपीएससी में कामयाबी के पीछे मदरसे से हासिल की हुई तालीम का भी बड़ा हाथ है। क्योंकि मदरसे ने मुझे आत्माविश्वास देने का काम किया है,आत्माविश्वास और अल्लाह पर भरोसा करके मैनें ये बड़ा कॉम्पटीशन क्लियर किया है।
शाहिद ने मदरसा अशरफिया से पढ़ाई पूरी करने केबाद जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय में बीए और एमए की पढ़ाई करी है और वहीं से पीएचडी कर रहे हैं।
शाहिद JNU के उसी माही मांडवी होस्टल में थे जिसमें नजीब अहमद थे, जब ABVP के गुंडों ने नजीब की पिटायी करनी शुरू कि थी तब शाहिद ही सबसे पहले उसे बचाने के लिए पहुंचे थे। मुझे यकीन है कि आज अपनी कामयाबी पर ये अपने दोस्त नजीब अहमद को बहुत याद कर रहे होंगे ! कितना ज़्यादा दर्द है इस कामयाबी के पीछे।
शाहिद रज़ा खान भी जेएनयू के उसी माही मांडवी हॉस्टल का छात्र था जहां नजीब रहता था. शाहिद ही वो एक अकेला ऐसा छात्र था जिसने मीडिया के सामने आकर नजीब के साथ हुई सारी घटना बयां की थी. शाहिद नजीब की मां फातिमा नफीस के साथ भी प्रेस कांफ्रेंस में शामिल रहे थे.