छोटे कर्जदारों का कर्ज माफ कर सकती है मोदी सरकार
नई दिल्ली। छोटे कर्जदारों को सरकार कर्जमाफी करके बड़ी राहत दे सकती है। इंसोल्वेंसी एंड बैंकरप्सी कोड के तहत सरकार छोटे कर्जदारों का कर्ज माफ कर सकती है। यह सब आईबीसी के फ्रेश स्टार्ट प्रावधानों के तहत किया जा सकता है। इसको लेकर योजना तैयार हो रही है
नई दिल्ली। छोटे कर्जदारों को सरकार कर्जमाफी करके बड़ी राहत दे सकती है। इंसोल्वेंसी एंड बैंकरप्सी कोड के तहत सरकार छोटे कर्जदारों का कर्ज माफ कर सकती है। यह सब आईबीसी के फ्रेश स्टार्ट प्रावधानों के तहत किया जा सकता है। इसको लेकर योजना तैयार हो रही है।
कॉरपोरेट मामलों के सचिव इंजेती श्रीनिवास ने बताया कि आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग यानी ईडब्ल्यूएस से आने वाले छोटे कर्जदारों की कर्जमाफी के लिए कैटेगरी तय करने को लेकर सरकार माइक्रोफाइनेंस इंडस्ट्री से बात कर रही है। उन्होंने बताया कि ईडब्ल्यूएस में सबसे ज्यादा कर्ज तले दबे कर्जदारों को ही इसका फायदा मिलेगा। वहीं, अगर किसी ने इस फ्रेश स्टार्ट का फायदा उठा लिया तो अगले पांच सालों तक इसका लाभ नहीं उठा पाएगा। श्रीनिवास ने बताया कि देशभर में चार-पांच सालों में यह कर्जमाफी 10,000 करोड़ रुपये से ज्यादा नहीं होगी।
आईबीसी के फ्रेश स्टार्ट के तहत कई प्रकार के प्रावधान हैं। जैसे कर्जदारों की सालाना इनकम 60,000 रुपये से ज्यादा नहीं होनी चाहिए। उसकी संपत्तियों का कुल मूल्य 20,000 से ज्यादा नहीं होनी चाहिए। लाभार्थी पर लोन का कुल मूल्य 35,000 से ज्यादा नहीं होना चाहिए। वहीं, लाभार्थी के पास अपना खुद का आवास भी नहीं होना चाहिए, चाहे आईबीसी के तहत उसके खिलाफ याचिका लगाई गई हो या नहीं।
कॉरपोरेट मामलों के सचिव इंजेती श्रीनिवास ने बताया कि आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग यानी ईडब्ल्यूएस से आने वाले छोटे कर्जदारों की कर्जमाफी के लिए कैटेगरी तय करने को लेकर सरकार माइक्रोफाइनेंस इंडस्ट्री से बात कर रही है। उन्होंने बताया कि ईडब्ल्यूएस में सबसे ज्यादा कर्ज तले दबे कर्जदारों को ही इसका फायदा मिलेगा। वहीं, अगर किसी ने इस फ्रेश स्टार्ट का फायदा उठा लिया तो अगले पांच सालों तक इसका लाभ नहीं उठा पाएगा। श्रीनिवास ने बताया कि देशभर में चार-पांच सालों में यह कर्जमाफी 10,000 करोड़ रुपये से ज्यादा नहीं होगी।
आईबीसी के फ्रेश स्टार्ट के तहत कई प्रकार के प्रावधान हैं। जैसे कर्जदारों की सालाना इनकम 60,000 रुपये से ज्यादा नहीं होनी चाहिए। उसकी संपत्तियों का कुल मूल्य 20,000 से ज्यादा नहीं होनी चाहिए। लाभार्थी पर लोन का कुल मूल्य 35,000 से ज्यादा नहीं होना चाहिए। वहीं, लाभार्थी के पास अपना खुद का आवास भी नहीं होना चाहिए, चाहे आईबीसी के तहत उसके खिलाफ याचिका लगाई गई हो या नहीं।