मुसलमान औरतों को तीन तलाक़ बिल से कोई फायदा नहीं होने वाला: दरगाह आला हज़रत

डंके की चोट पर 'सिर्फ सच'

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मुसलमान औरतों को तीन तलाक़ बिल से कोई फायदा नहीं होने वाला: दरगाह आला हज़रत

अज़हर उमरी, अजमेर। दरगाह आला हज़रत के सज्जादानशीन मुफ़्ती अहसन रज़ा क़ादरी (अहसन मियां) ने लोकसभा में पास हुए ट्रिपल तलाक अपने बयान में कहा की मुसलमान औरतों को इस बिल से कोई फायदा नहीं होने वाला बल्कि नुकसान होगा। तरीका तो यह है कि अगर मियां-बीबी में कोई


मुसलमान औरतों को तीन तलाक़ बिल से कोई फायदा नहीं होने वाला: दरगाह आला हज़रत
अज़हर उमरी, अजमेर। दरगाह आला हज़रत के सज्जादानशीन मुफ़्ती अहसन रज़ा क़ादरी (अहसन मियां) ने लोकसभा में पास हुए ट्रिपल तलाक अपने बयान में कहा की  मुसलमान औरतों को इस बिल से कोई फायदा नहीं होने  वाला  बल्कि नुकसान होगा। तरीका तो यह है कि अगर मियां-बीबी  में कोई झगड़ा है तो दोंनो परिवार के लोग सुलह कराये , इसके लिए 90 दिन का वक़्त होता है। 
इस्लामी कानून के जरिया कुरआन व हदीस हैं और तकयामत तक रहेगा l मुस्लिम पर्सनल लॉ में हस्तक्षेप की कोई गुंजाइश नहीं हैं। तीन तलाक हमेशा से मान्य हैं और हमेशा मान्य रहेगी । उन्होंने सवाल किया कि जब सुप्रीम कोर्ट की नज़र में तीन तलाक से रिश्ता नहीं टूटा तो सजा क्यों? तीन साल सजा होने पर पति पत्नि के बीच मोहब्बत बढ़ेगी या तल्खी? जब शौहर जेल में रहेगा तो परिवार का गुजारा  कैसे होगा?
 शौहर और बीवी को खुद से अपने हालत में सुधार करना पड़ेगा और इसके लिए दीनी तालिम जरुरी है। तलाक पर दीन-ए-इस्लाम में खुला रास्ता है। एक ही वक़्त पर तीन तलाक देने पर मज़हब ए इस्लाम में मनाही जरुर है लेकिन अगर कोई एक साथ तीन तलाक दे देगा तो तलाक हो जायेगी। तीन तलाक का अख्तियार शौहर को हासिल है। यह कुरआन व सुन्नत से साबित है। उन्होंने कहा कि संविधान निर्माता भीमराव अंबेडकर ने भी कहा था कि यहां हर मज़हब के कानून को मानना होगा। मज़हब के  अनुसार ही कानून बनाना होगा और मज़हब  के मामले में दखल नहीं दिया  जायेगा l लेकिन हो इसके उलट रहा है।
  तीन तलाक के बहाने देश में समान नागरिक संहिता लागू करने की कोशिश की जा रही है। कुछ लोग मुस्लिम औरतों को दीन-ए-इस्लाम के खिलाफ बहका रहे हैं। शरीयत में किसी भी तरह की दखलअंदाज़ी  नहीं होना चाहिए।
 अगर  किसी मियां बीबी की आपस में नहीं बनती तो उन्हें एक तलाक का हुक्म होता है। इस तरह  से तलाक लेने के बाद भी यदि उन दोनों में आपसी रज़ामंदी  बनती है, तो वह फिर से एक साथ रह सकते हैं, जबकि दो तलाक लेने के बाद वह एक साथ रहना चाहते हैं तो उनका फिर से निकाह कराया जाता हैl
अगर वाकई सरकार मुसलमानों का हक दिलाना चाहती है तो पहले वो मुसलमानों की हिफाज़त करे। उनकी इबादतगाहों की हिफाज़त करे और मुस्लिम औरतों के शौहरों व बच्चों की हिफाज़त करे। निकाह और तलाक इस्लामी कानून से ही होंगे l