कांवड़ यात्रियों की मदद और सेवा कर रहे मुस्लिम नौजवान!

डंके की चोट पर 'सिर्फ सच'

  1. Home
  2. Desh Videsh

कांवड़ यात्रियों की मदद और सेवा कर रहे मुस्लिम नौजवान!

वाराणसी में सावन के पहले सोमवार को अनोखी मिसाल देखने को मिली। यहां मुस्लिम समुदाय के लोग बाबा विश्वनाथ का जलाभिषेक करने दूर-दूर से आने वाले कांवड़ियों और श्रद्धालुओं की सेवा करते दिखे। भोलेनाथ के दर्शन के लिए देश के कोने-कोने से लाखों कांवड़िए और श्


कांवड़ यात्रियों की मदद और सेवा कर रहे मुस्लिम नौजवान!
वाराणसी में सावन के पहले सोमवार को अनोखी मिसाल देखने को मिली। यहां मुस्लिम समुदाय के लोग बाबा विश्‍वनाथ का जलाभिषेक करने दूर-दूर से आने वाले कांवड़ियों और श्रद्धालुओं की सेवा करते दिखे।

भोलेनाथ के दर्शन के लिए देश के कोने-कोने से लाखों कांवड़िए और श्रद्धालु बनारस पहुंचे हैं। रविवार की रात 12 बजे से ही काशी विश्‍वनाथ मंदिर में दर्शन करने के लिए लाइन लगी तो सोमवार को दिनभर रेला चलता रहा।

यात्रा इलाके में लगाए गए एक शिविर में पहुंचे भोले के भक्‍त तब हतप्रभ रह गए जब मुस्लिम युवक साजिद इकबाल की टोली यहां उनकी सेवा करने में जुट गई। मुफ्त में श्रद्धालुओं को बॉडी मसाज के साथ दाढ़ी-बाल बनाने बनाने में भी मुस्लिम समुदाय के ये युवा जुटे रहे।

एनबीटी की रिपोर्ट के अनुसार पेशे से बार्बर और कई मॉल में हाइटेक सैलून चलाने वाले साजिद का कहना है कि जब वह छात्र थे तब दोस्‍तों के साथ सावन में विश्‍वनाथ दरबार गए थे। उस समय श्रद्धालुओं को होने वाले कष्‍ट का उन्‍हें अहसास हु‍आ था। उसी समय उन्होंने ठान लिया था कि बड़े होकर वह इस सेवा में अपना योगदान जरूर देंगे।

सावन शुरू होने के साथ ही साजिद अपनी टीम के साथ श्रद्धालुओं की सेवा में जुट गए हैं। 15 सदस्‍यीय उनकी टीम में अमीन, वैशाली, प्रियंका, अपराजिता, चांदनी, महेश, गुलशन, अविनाश शशि आदि शामिल हैं।

साजिद कहते हैं कि हम जो कुछ कर रहे वह हमारा कर्तव्‍य है। भक्‍तों की सेवा को मजहब से नहीं जोड़ा जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि हर सोमवार को उनकी टीम ऐसे ही श्रद्धालुओं की सेवा करेगी।

कुछ समय पहले तक आरिफ इकबाल अपने साथ मुस्लिम युवकों को लेकर सावन में आए यहां पहुंचने वाले भक्तों की सेवा करते थे। उधर, रुस्‍तम अंसारी युवा नमाजियों की टोली के साथ गायों के जख्‍मों पर मरहम लगा गो-सेवा में जुटे हैं।

टोली में शामिल दो दर्जन लोग सड़कों पर घूमती जख्‍मी गायों के इलाज के लिए रात में सिर पर टोपी और हाथों मे टार्च-पेट्रोमेक्‍स संग फर्स्‍ट एड बॉक्‍स लेकर शहर में निकलते हैं।