नायडू का जीवन युवाओं के लिए अनुकरणीय: शाह

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नायडू का जीवन युवाओं के लिए अनुकरणीय: शाह

केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने रविवार को उपराष्ट्रपति वेंकैया नायडू द्वारा उपराष्ट्रपति के रूप में दो साल के कार्यकाल पर लिखी पुस्तक 'लिस्टिंग, लर्निंग एंड लीडिंग' का विमोचन करते हुए कहा कि इस पुस्तक का शीर्षक उपराष्ट्रपति वेंकैया के जीवन की व्याख्


नायडू का जीवन युवाओं के लिए अनुकरणीय: शाह
केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने रविवार को उपराष्ट्रपति वेंकैया नायडू द्वारा उपराष्ट्रपति के रूप में दो साल के कार्यकाल पर लिखी पुस्तक 'लिस्टिंग, लर्निंग एंड लीडिंग' का विमोचन करते हुए कहा कि इस पुस्तक का शीर्षक उपराष्ट्रपति वेंकैया के जीवन की व्याख्या करता हुआ शीर्षक है। उनका कहना था कि नायडू का जीवन युवाओं के लिये अनुकरणीय है और यह पुस्तक सभी के लिए मार्गदर्शन का कार्य करेगी।
उन्होंने कहा कि आंध्र प्रदेश के एक साधारण किसान परिवार में जन्म लेकर नायडू बहुत कम उम्र में ही आरएसएस एवं विद्यार्थी परिषद् की विचारधारा से जुड़ गए और उसके आधार पर उन्होंने जिस तरह से राज्य और देश के विकास में अपना योगदान दिया, यह हम सबने देखा है। उन्होंने बताया कि वेंकैया विद्यार्थी परिषद् के कार्यकर्ता थे और जब विद्यार्थी परिषद् का धारा 370 के खिलाफ आंदोलन चल रहा था तो वेंकैया भी उस आंदोलन का हिस्सा थे। इस दौरान एक कम्युनिस्ट प्रोफ़ेसर ने वेंकैया से पूछा कि आपने कश्मीर देखा है क्या? यदि आपने कश्मीर देखा ही नहीं है तो आप आंदोलन क्यों कर रहे हैं? तो छूटते ही वेंकैया का जवाब था कि हालांकि एक आँख को दूसरी आँख दिखाई नहीं देती लेकिन यदि एक को दर्द होता है तो दूसरी आँख को अपने आप महसूस हो जाता है। शाह ने कहा कि यह विधि का ही विधान है कि जो बाल वेंकैया नायडू ने 370 के खिलाफ आंदोलन किया था वही नायडू धारा 370 हटाने के समय राज्यसभा में अध्यक्षता कर रहे थे।
उन्होंने कहा कि मेरे मन में कभी कोई दुविधा नहीं थी कि धारा 370 हटनी चाहिये कि नहीं और उसके हटने के बाद क्या होगा क्योंकि मै मानता हूँ कि 370 हटने के बाद कश्मीर से आतंकवाद खत्म होगा और राज्य विकास के रास्ते पर कैसे आगे बढ़ेगा। उनका कहना था कि नायडू के सदन संचालन की कुशलता का ही परिणाम है कि धारा 370 हटाने बिल आसानी से पारित हुआ।
शाह का कहा था कि राज्यसभा में ट्रेजरी बेंच के लोगों को उनसे हमेशा भय रहता है कि कहीं किसी नियम का तनिक भी उल्लंघन तो नहीं हुआ क्योंकि वेंकैया नायडू चाहे विपक्ष हो या ट्रेजरी, राज्यसभा के अध्यक्ष के रूप में दोनों के लिए समान व्यवहार करते हुए टिप्पणी करते हैं  इसलिये प्रत्येक सदस्य उनसे डरता है।