अब स्कूलों में पढ़ाई के साथ शतरंज की चाल भी सीखेंगे बच्चे
अब जल्द ही बच्चे स्कूलों में शतरंज जैसे खेल भी खेलते नज़र आ सकते हैं। इस प्रयोग का मकसद बच्चों में दिमागी कौशल का विकास करना है। सरकार नई शिक्षा नीति के तहत यह शुरुआत कर सकती है। पढ़ाई-लिखाई के साथ बच्चों की तार्किक क्षमता बढ़ाने का काम होगा। नई शिक्ष
अब जल्द ही बच्चे स्कूलों में शतरंज जैसे खेल भी खेलते नज़र आ सकते हैं। इस प्रयोग का मकसद बच्चों में दिमागी कौशल का विकास करना है। सरकार नई शिक्षा नीति के तहत यह शुरुआत कर सकती है। पढ़ाई-लिखाई के साथ बच्चों की तार्किक क्षमता बढ़ाने का काम होगा। नई शिक्षा नीति में इसे लेकर पहल की गई है। बच्चों को शब्द और तर्क पहेलियों जैसी गतिविधियों से भी जोड़ने की सिफारिश की गई है।
नई शिक्षा नीति के इस प्रस्तावित मसौदे में कहा गया है, जिस तरह बच्चों के लिए स्कूलों में खेलकूद जरूरी है, उसी तरह दिमागी कसरत भी जरूरी है। यह शतरंज या दूसरी तार्किक गतिविधियों से हो सकती है।
कहा गया है कि भारतीय बच्चों को इस खेल से अनिवार्य रूप से जोड़ना चाहिए। मसौदे में कहा गया है कि शब्द, समस्या-समाधान और तर्क पहेलियां बच्चों में तार्किक क्षमता बढ़ाने का तरीका है।
स्कूली स्तर पर बच्चों में तर्क करने की यह क्षमता विकसित कर दी जाए तो उसे जीवन भर इसका लाभ मिलेगा। मालूम हो कि नई शिक्षा नीति के मसौदे पर सरकार फिलहाल अभी राय ले रही है। जिसकी अंतिम तिथि 30 जून है। इसके बाद अमल की प्रक्रिया शुरू होगी।
नई शिक्षा नीति के इस प्रस्तावित मसौदे में कहा गया है, जिस तरह बच्चों के लिए स्कूलों में खेलकूद जरूरी है, उसी तरह दिमागी कसरत भी जरूरी है। यह शतरंज या दूसरी तार्किक गतिविधियों से हो सकती है।
कहा गया है कि भारतीय बच्चों को इस खेल से अनिवार्य रूप से जोड़ना चाहिए। मसौदे में कहा गया है कि शब्द, समस्या-समाधान और तर्क पहेलियां बच्चों में तार्किक क्षमता बढ़ाने का तरीका है।
स्कूली स्तर पर बच्चों में तर्क करने की यह क्षमता विकसित कर दी जाए तो उसे जीवन भर इसका लाभ मिलेगा। मालूम हो कि नई शिक्षा नीति के मसौदे पर सरकार फिलहाल अभी राय ले रही है। जिसकी अंतिम तिथि 30 जून है। इसके बाद अमल की प्रक्रिया शुरू होगी।