3 घंटे तक हुए गैंगरेप पर पर्दा डालने में लगी थी पुलिस

डंके की चोट पर 'सिर्फ सच'

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3 घंटे तक हुए गैंगरेप पर पर्दा डालने में लगी थी पुलिस

जयपुर। लोकसभा चुनाव के लिए जब राजस्थान में वोट डाले जा रहे थे, उस समय अलवर पुलिस दलित महिला के साथ तीन घंटे तक हुए गैंगरेप पर पर्दा डालने में लगी थी। अलवर पुलिस ने राज्य के आला पुलिस अधिकारियों को भी इस दरिदंगी के बारे में पूरी जानकारी नहीं दी, जबकि


3 घंटे तक हुए गैंगरेप पर पर्दा डालने में लगी थी पुलिस
जयपुर। लोकसभा चुनाव के लिए जब राजस्थान में वोट डाले जा रहे थे, उस समय अलवर पुलिस दलित महिला के साथ तीन घंटे तक हुए गैंगरेप पर पर्दा डालने में लगी थी। अलवर पुलिस ने राज्य के आला पुलिस अधिकारियों को भी इस दरिदंगी के बारे में पूरी जानकारी नहीं दी, जबकि घटना का भयावह विडियो जंगल में आग की तरह सोशल मीडिया में फैल गया था। इस बीच गैंगरेप के खिलाफ जयपुर में जोरदार विरोध-प्रदर्शन हो रहे हैं। ये लोग सभी आरोपियों की जल्द गिरफ्तारी और दोषी पुलिसवालों के खिलाफ सख्त ऐक्शन की मांग कर रहे हैं।
प्राप्त जानकारी के अनुसार  सबसे पहली बात एसएचओ को चुनाव ड्यूटी में नहीं लगाया गया था। दूसरी बात अगर वह कानून और व्यवस्था के काम में लगे हुए थे तो कुछ अन्य अधिकारियों को इस जांच में लगाया जा सकता था या अलवर पुलिस राज्य के पुलिस मुख्यालय से मदद मांग सकती थी। सीकर अपहरण की तरह हम एटीएस के विशेष अभियान दल को जांच में लगा सकते थे।
उधर, राज्य पुलिस ने उन खबरों को खारिज कर दिया है कि अलवर पुलिस ने चुनाव के बीच इस पूरे मामले के राजनीतिक असर को देखते हुए उसे छिपाने की कोशिश की। अधिकारी ने कहा, चुनाव को देखते हुए कई वीआईपी और वीवीआईपी अलवर के दौरे पर थे। सुरक्षा व्यवस्था प्राथमिकता थी लेकिन इसका मतलब यह नहीं कि इस तरह के गंभीर मामले को अनदेखा कर दिया जाए। यह संवेदनशीलता की कमी और एफआईआर दर्ज करने की अनिच्छा का संकेत है।
पुलिस की इस लापरवाही की अब आईजी स्तर के अधिकारी जांच कर रहे हैं, जबकि सूत्रों ने बताया कि जिले के एसपी डॉक्टर राजीव पचार को इस पूरे मामले को ठीक ढंग से नहीं संभालने और गैंगरेप की गंभीरता का आकलन करने में असफल रहने पर प्रतीक्षा सूची में डाल दिया गया है।