प्रेग्नेंट महिला को एंबुलेंस न मिलने पर मजबूरन बाइक से ले जाना पड़ा अस्पताल

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प्रेग्नेंट महिला को एंबुलेंस न मिलने पर मजबूरन बाइक से ले जाना पड़ा अस्पताल

झारखंड के चंदवा सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र (सीएचसी) में एक महिला खून से लथपथ और बेहोशी की हालत में पहुंची। उसे परिवार के सदस्य बाइक पर लेकर आए क्योंकि उसे एंबुलेंस देने से मना कर दिया गया था। महिला का नाम शांति देवी है और वह 30 साल की है। परिवार को


प्रेग्नेंट महिला को एंबुलेंस न मिलने पर मजबूरन बाइक से ले जाना पड़ा अस्पताल
झारखंड के चंदवा सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र (सीएचसी) में एक महिला खून से लथपथ और बेहोशी की हालत में पहुंची। उसे परिवार के सदस्य बाइक पर लेकर आए क्योंकि उसे एंबुलेंस देने से मना कर दिया गया था।

महिला का नाम शांति देवी है और वह 30 साल की है। परिवार को घर से अस्पताल के बीच का 10 किलोमीटर से ज्यादा का रास्ता मजबूरन बाइक से तय करना पड़ा।

शांति देवी को एंबुलेंस देने से मना किया गया लेकिन उनकी परेशानी यहीं पर खत्म नहीं हुईं। उन्हें सीएचसी से लातेहर सदर अस्पताल रेफर कर दिया गया।

इस बार उन्हें एंबुलेंस सेवा दी गई और उन्हें 27 किलोमीटर का रास्ता तय करना पड़ा। यहां से फिर डॉक्टरों ने उन्हें रांची के राजेंद्र इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसिज मे रेफर कर दिया। जहां आखिरकार उन्हें भर्ती किया गया।

जिस तरीके से डॉक्टरों ने बेहतर इलाज के नाम पर गंभीर रूप से बीमार मरीज को एक अस्पताल से दूसरे में रेफर किया उससे कई लोग हैरान हैं जिसमें सामाजिक कार्यकर्ता भी शामिल हैं जो इस पूरी प्रक्रिया के दौरान शामिल रहे। महिला के पति कमल गंजू ने कहा कि शांति चार महीने की गर्भवती है।

अमर उजाला की रिपोर्ट के अनुसार गंजू ने कहा, 'हमने उसे चंदवा सीएचसी लाने के लिए एक एम्बुलेंस की व्यवस्था करने की कोशिश की लेकिन उन्होंने नहीं दी। हमने 108 हेल्पलाइन नंबर पर फोन किया लेकिन कोई फायदा नहीं हुआ। इसके बाद हमारे पास उसे बाइक से अस्पताल ले जाने के अलावा कोई चारा नहीं था चूंकि उसकी हालत बिगड़ती जा रही थी।'

यह परिवार लातेहार जिले के चंदवा ब्लॉक के चौतंग गांव से ताल्लुक रखता है। संयोग से यह गांव उन तीन गांवों में से एक है जिसे स्थानीय सांसद ने एक आदर्श गांव बनाने के लिए चुना था। यह गांव चतरा लोकसभा सीट के अंतर्गत आता है। यहां से भाजपा के सुनील कुमार सिंह सासंद हैं।

सीपीएम नेता और सामाजिक कार्यकर्ता अय्यूब खान ने कहा, 'पहले उसे एंबुलेंस नहीं दी गई। इसके बाद लातेहार पुलिस उपायुक्त के हस्तक्षेप के बावजूद सदर अस्पताल के डॉक्टरों ने खून चढ़ाने से मना कर दिया। इलाज में ढिलाई बरतकर डॉक्टरों ने उसकी जिंदगी के साथ खिलवाड़ किया। यह सरकारी स्वास्थ्य मशीनरी के लिए शर्म की बात है।'

लातेहर के सिविल सर्जन डॉक्टर एसपी शर्मा ने कहा, 'हमारे पास एक एंबुलेंस सीएचसी में और एक 1108 में है। इसके अतिरिक्त गर्भवती महिला के लिए ममता वाहन है। इसके बावजूद महिला को एंबुलेंस नहीं दी गई और यह स्वीकार्य नहीं है। मैंने इस मामले में पहले ही जांच के आदेश दे दिए हैं।'