राहुल को हारना ही था, अमेठी के लोग खाने के लिए मिट्टी से अनाज के दाने चुन रहे थे : स्मृति ईरानी

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राहुल को हारना ही था, अमेठी के लोग खाने के लिए मिट्टी से अनाज के दाने चुन रहे थे : स्मृति ईरानी

नई दिल्ली। केद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी ने कहा कि ‘जब मुझे 2014 के आम चुनाव में तीन लाख से ज्यादा वोट मिलें मैं तभी समझ गई थी कि यहाँ के लोगों के साथ कुछ न कुछ तो गड़बड़ जरूर है। मैंने अपने आँखों से देखा अमेठी के लोग खाने के लिए मिट्टी से अनाज के दाने


राहुल को हारना ही था, अमेठी के लोग खाने के लिए मिट्टी से अनाज के दाने चुन रहे थे : स्मृति ईरानी
नई दिल्ली। केद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी ने कहा कि ‘जब मुझे 2014 के आम चुनाव में तीन लाख से ज्यादा वोट मिलें मैं तभी समझ गई थी कि यहाँ के लोगों के साथ कुछ न कुछ तो गड़बड़ जरूर है। मैंने अपने आँखों से देखा अमेठी के लोग खाने के लिए मिट्टी से अनाज के दाने चुन रहे थे।

2014 में मुझे मिले वोट इसका संकेत थे कि लोगों को मदद की जरूरत है। मैं उन्हें अकेला नहीं छोड़ना चाहती थी। ‘ मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार ईरानी ने आगे कहा कि ‘पांच साल में कभी भी मैंने अमेठी के लोगों को अपना वोट बैंक नहीं समझा । मैं उनसे अपने साथी या परिवार के सदस्य के रूप में जुड़ी।’

आपको ज्ञात हो कि राहुल गांधी लगातार तीन बार अमेठी से सांसद थे। इस आम चुनाव में वह भाजपा की स्मृति ईरानी से 50,000 से अधिक मतों के अंतर से हार गए। हालाँकि राहुल गांधी ने केरल में ’सुरक्षित सीट’ वायनाड से भारी अंतर से जीत हासिल की। अमेठी की हार पार्टी के लिए एक बड़ा झटका था क्योंकि नेहरू-गांधी परिवार के चार परिवार के सदस्यों ने तीन दशकों से अधिक सीट का प्रतिनिधित्व किया।