राहुल को फेसबुक पर दोस्त बनाना पड़ा मंहगा, एक माह से जेल में हैं बंद

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राहुल को फेसबुक पर दोस्त बनाना पड़ा मंहगा, एक माह से जेल में हैं बंद

बिहार के नालंदा जिला गांव तेल्मर का राहुल पांडेय 23 साल का एक गरीब लड़का जो कि अपने परिवार के साथ दिल्ली के सरदरगंज अस्पताल के चटर में रहता है, जो फेसबुक दोस्ती का शिकार हो गया है और पिछले एक महीने से नेपाल की जेल में बंद है। फेसबुक के माध्यम से वह


राहुल को फेसबुक पर दोस्त बनाना पड़ा मंहगा, एक माह से जेल में हैं बंद
बिहार के नालंदा जिला गांव तेल्मर का राहुल पांडेय 23  साल का एक गरीब लड़का जो कि अपने परिवार  के साथ दिल्ली के सरदरगंज अस्पताल के चटर में रहता है, जो फेसबुक दोस्ती का शिकार हो गया है और पिछले एक महीने से नेपाल की जेल में बंद है।

फेसबुक के माध्यम से वह कुछ नेपाली लोगों का दोस्त बना, जो  दो बार भारत आए, दिल्ली में राहुल के घर पर रहे और उन्हें और उनकी माँ नीलम पांडे को नेपाल में संयुक्त व्यवसाय करने के लिए लालच दिया। परिवार का विश्वास जितने के बाद उन्हे एयरलाइन का टिकट देकर नेपाल घुमने को बुलाया और फिर बन्धक बनाकर 65 लाख रुपया फिरौती मागने लगे, नहीं देने पर पुलिस में ठगी का आरोप लगा गिरफ़्तार करवा दिया।

नेपाल में भारतीयों के लिए जमानत का कोई प्रावधान नहीं है। जब पुलिस के सामने  हकीकत आई तो पुलिस ने तत्काल कारवाई करते हुए मां की ओर से एक काउंटर केस भी दर्ज किया। मूल  समस्या ये है कि यहाँ अदालत  इस तथ्य से आशंकित होने के कारण भारतीय जमानत मिलने के बाद नेपाल छोड़ देगें  भारतीयों को बेल नहीं देतीं। विदेशी नागरिक विशेषकर भारतीयों को जमानत देने के लिए नेपाल के कानून में कोई प्रावधान नहीं है।

इस समस्या से निपटने के लिए, अन्य राष्ट्र, अपने राजनीतिक और राजनयिक प्रभाव का उपयोग करते हैं, लेकिन भारत का दूतावास इस तरह की कोई पहल नहीं कर पाता है। मोदी सरकार की नई व्यवस्था और स्पष्ट निर्देशों के बावजूद यहां का दूतावास मूक दर्शक ही बना रहता है। राहुल को रिहा करने के लिए काठमांडू में डेरा डाले हुए भारत के सर्वोच्च न्यायालय के अधिवक्ता अजय कुमार ने कहा कि मैं यह जानकर हैरान हूं कि सजा का आधार राष्ट्रीयता कैसे हो सकती है।

यह न्याय के प्राकृतिक सिद्धांत के खिलाफ है। उन्होंने  दुख व्यक्त करते हुए आगे कहा कि काठमांडू में तैनात भारतीय अधिकारियों ने इस मुद्दे को अब तक उच्च स्तर पर क्यों  नहीं उठाया है, जबकि वे इस समस्या से पूरी तरह से अवगत हैं। दिन-प्रतिदिन भारतीय नागरिकों के लिए यह समस्या विकराल होती जा रही है। भारतीय दूतावास के उदासीन रवैये के कारण, यहाँ भारत विरोधी भावना भी बहुत अधिक है। भारत सरकार यहाँ हर महीने बड़ी रकम खर्च करती  है फिर भी लोग भारत विरोधी हैं।

स्थानीय दूतावास के लोगों का रवैया इनके साथ ठीक नहीं है। उन्होंने खुले तौर पर आरोप लगाया कि, यहाँ का दूतावास स्थानीय मीडिया के संपर्क में नहीं रहता है और अपने कुछ चुनीदा लोगों को ही अनुग्रहीत करता है। वे दूतावास की दीवारों में कैद रहते हैं और अपने पसंदीदा लोगों के बीच धन वितरित करते हैं। यहां दूतावास में नियमित प्रशासनिक या वीज़ा कार्यों के लिए आये हुए आगंतुकों के लिये लिए भी कोई उचित व्यवस्था नहीं है। नेपाल की यात्रा पर  आये भारतीयों के लिये भी आपातकालीन स्थितियों से निपटने के लिए कोई व्यवस्था नहीं है। राहुल की माँ नीलम पांडे भी कई दिन यहां चक्कर काटती रही लेकिन उन्हें कोई सहयता नहीं मिली। उनका मानना है कि उन्हे अगर फौरी मदद मिल जाती तो आज उनका बेटा जेल में नहीं होता। नेपाल में भारतीय राजदूत मंजीत सिंह पुरी से सम्पर्क करने का हर प्रयास विफल रहा।

तमाम कोशिश के बावजूद वे टिप्पणी के लिए उपलब्ध नहीं थे। दूतावास के एक वरिष्ठ अधिकारी ने नाम न छापने की शर्त पर बताया कि व्यापार या पर्यटन के लिए नेपाल का दौरा करना अब भारतीयों के लिये  बिल्कुल भी सुरक्षित नहीं है। उन्होंने आगे कहा कि दूतावास असुरक्षित नेपाल एडवाजरि  जारी करने पर विचार कर रहा है और निकट भविष्य में वो भारतीयों से नेपाल का दौरा न करने का आग्रह कर सकता है ।यहां बड़ी संख्या में ठगी गिरोह और माफिया सक्रिय हैं जो स्थानीय पुलिस की मिलीभगत से काम करते हैं और नेपाल की यात्रा पर आये भारतीयों को निशाना बनाते हैं। अब यह गिरोह सोशल मीडिया के माध्यम से भी भारतीयों का शिकार करने में  सक्रिय है।

राहुल पांडे के इस मामले में, उनका विश्वास जीतने के लिए, गिरोह के सरगना ने दो बार भारत की यात्रा ही नहीं की बल्कि उन्हें नेपाल की मुफ्त टिकट, खाने और रहने की सुविधा भी प्रदान की ताकी वो किसी भी तरह एक बार उनके जाल में फंस जायें और फिर उनसे भारी वसूली की जा सके। जब वो काठमांडू आ गए तो उन्हे फाँस कर 65 लाख से अधिक की फिरौती मांगी गई थी। मांग को पूरा करने में विफल रहने पर उन्हें धोखाधड़ी के झूठे आरोप में फंसाया गया और पुलिस को सौंप दिया गया, जहां उन्हें अपराध स्वीकार करने के लिए यातना भी दी गई। आज नेपाल के विभिन्न जेलों में दर्जनों से अधिक भारतीय बंद हैं, जो नेपाल में सक्रिय ऐसे गिरोह का शिकार हो चुके हैं। ये गिरोह विभिन्न अपराधों में लिप्त हैं, जिसमें प्रमुख है मानव तस्करी, ड्रग्स और अवैध वर्क परमिट वीसा। अगर समय रहते भारत सरकार ने इस और ध्यान नहीं दिया और यहाँ के भारतीय दूतावास में व्यापक फेरबदल नहीं किया तो आने वाले दिनों में इसके गम्भीर परिणाम हो सकते हैं।