RSS वाले वेदों को नहीं मानते, इसलिए हिन्दू ही नहीं: शंकराचार्य
शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती ने राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) को न केवल हिन्दू संगठन मानने से इंकार कर दिया बल्कि साफ शब्दों में कहा कि संघ और इसके लोग वेदों में विश्वास नहीं करते हैं, और जो वेदों पर विश्वास नहीं करता वो हिंदू नहीं हो सकत
शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती ने राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) को न केवल हिन्दू संगठन मानने से इंकार कर दिया बल्कि साफ शब्दों में कहा कि संघ और इसके लोग वेदों में विश्वास नहीं करते हैं, और जो वेदों पर विश्वास नहीं करता वो हिंदू नहीं हो सकता है।
टीवी-9 को दिए साक्षात्कार में उन्होने कहा, ‘उनका एक ग्रंथ है विचार नवनीत, जो गोलवलकर जी का लिखा हुआ है। उन्होंने ये बताया है कि हिंदुओं की एकता का आधार वेद नहीं हो सकता। यदि वेद को हम हिंदुओं की एकता का आधार मानेंगे तो जैन और बौद्ध हमसे कट जाएंगे। वो भी हिंदू हैं।”
शंकराचार्य ने कहा कि वो ये मानते हैं कि जो वेदों के धर्म-अधर्म पर विश्वास रखता है वही हिंदू है। वेद-शास्त्रों में जो विधिशेध हैं। उनको जो मानता है उसी को आस्तिक माना जाता है, और जो आस्तिक होता है वही हिंदू होता है।’
टीवी-9 को दिए साक्षात्कार में उन्होने कहा, ‘उनका एक ग्रंथ है विचार नवनीत, जो गोलवलकर जी का लिखा हुआ है। उन्होंने ये बताया है कि हिंदुओं की एकता का आधार वेद नहीं हो सकता। यदि वेद को हम हिंदुओं की एकता का आधार मानेंगे तो जैन और बौद्ध हमसे कट जाएंगे। वो भी हिंदू हैं।”
शंकराचार्य ने कहा कि वो ये मानते हैं कि जो वेदों के धर्म-अधर्म पर विश्वास रखता है वही हिंदू है। वेद-शास्त्रों में जो विधिशेध हैं। उनको जो मानता है उसी को आस्तिक माना जाता है, और जो आस्तिक होता है वही हिंदू होता है।’