सिर्फ उन्हीं जानवरों की क़ुरबानी करें जिस पर सरकार ने कोई भी प्रतिबन्ध नहीं लगाया: मौलाना फिरंगी महली
लखनऊ। मौलाना खालिद रशीद फिरंगी महली ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड (AIMPLB) के सदस्य हैं। महली ने सभी धर्मों के आस्था का ख्याल रखते हुए एक बयान दिया है। महली ने कहा किईद उल जुहा या बकरीद पर सिर्फ उन्हीं जानवरों का बलिदान दिया जाए जिस पर सरकार ने
लखनऊ। मौलाना खालिद रशीद फिरंगी महली ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड (AIMPLB) के सदस्य हैं। महली ने सभी धर्मों के आस्था का ख्याल रखते हुए एक बयान दिया है। महली ने कहा किईद उल जुहा या बकरीद पर सिर्फ उन्हीं जानवरों का बलिदान दिया जाए जिस पर सरकार ने कोई भी प्रतिबन्ध नहीं लगाया है।
मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार महली ने आगे कहा कि सड़कों पर जानवरों की कु’र्बानी नहीं होनी चाहिए। यह एक घर या मदरसे के अंदर किया जा सकता है ताकि अन्य समुदायों को किसी समस्या का सामना न करना पड़े। जानवरों के बलिदान की कोई भी तस्वीर सोशल मीडिया पर क्लिक या साझा नहीं की जानी चाहिए।
बता दें कि ईद उल जुहा या बकरीद 11 अगस्त से शुरू होकर 12 अगस्त तक चलेगी। दिल्ली में शुक्रवार को ईद उल अजहा के चांद के दीदार हो गए, जिससे बकरीद का त्यौहार 12 अगस्त को मनाया जाएगा। ईद उल अजहा या बकरीद, ईद उल फित्र के दो महीने नौ दिन बाद मनाई जाती है। ईद उल अजहा का चांद 10 दिन पहले दिखता है।
रमजान के पवित्र महीने की समाप्ति के लगभग 70 दिनों बाद इसे मनाया जाता है। इस्लामिक मान्यता के अनुसार हज़रत इब्राहिम अपने पुत्र हज़रत इस्माइल को इसी दिन खुदा के हुक्म पर खुदा कि राह में कुर्बान करने जा रहे थे, तो अल्लाह ने उसके पुत्र को जीवनदान दे दिया जिसकी याद में यह पर्व मनाया जाता है।
मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार महली ने आगे कहा कि सड़कों पर जानवरों की कु’र्बानी नहीं होनी चाहिए। यह एक घर या मदरसे के अंदर किया जा सकता है ताकि अन्य समुदायों को किसी समस्या का सामना न करना पड़े। जानवरों के बलिदान की कोई भी तस्वीर सोशल मीडिया पर क्लिक या साझा नहीं की जानी चाहिए।
बता दें कि ईद उल जुहा या बकरीद 11 अगस्त से शुरू होकर 12 अगस्त तक चलेगी। दिल्ली में शुक्रवार को ईद उल अजहा के चांद के दीदार हो गए, जिससे बकरीद का त्यौहार 12 अगस्त को मनाया जाएगा। ईद उल अजहा या बकरीद, ईद उल फित्र के दो महीने नौ दिन बाद मनाई जाती है। ईद उल अजहा का चांद 10 दिन पहले दिखता है।
रमजान के पवित्र महीने की समाप्ति के लगभग 70 दिनों बाद इसे मनाया जाता है। इस्लामिक मान्यता के अनुसार हज़रत इब्राहिम अपने पुत्र हज़रत इस्माइल को इसी दिन खुदा के हुक्म पर खुदा कि राह में कुर्बान करने जा रहे थे, तो अल्लाह ने उसके पुत्र को जीवनदान दे दिया जिसकी याद में यह पर्व मनाया जाता है।