झुग्गी बस्तियों के बच्चों के लिए मसीहा बनीं शबीना खान

डंके की चोट पर 'सिर्फ सच'

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झुग्गी बस्तियों के बच्चों के लिए मसीहा बनीं शबीना खान

मुहम्मद फैज़ान, नई दिल्ली। मोदी सरकार यूं तो डिजिटल इंडिया का सपना देख रही है, लेकिन देश में शिक्षा व्यवस्था के हालात पीएम मोदी के इस सपने को आईना दिखा रहे हैं। सरकारी स्कूलों के हालात जगजाहिर हैं, लेकिन आज हम जिस समस्या की बात कर रहे हैं, वह इससे भी


झुग्गी बस्तियों के बच्चों के लिए मसीहा बनीं शबीना खान
मुहम्मद फैज़ान, नई दिल्ली। मोदी सरकार यूं तो डिजिटल इंडिया का सपना देख रही है, लेकिन देश में शिक्षा व्यवस्था के हालात पीएम मोदी के इस सपने को आईना दिखा रहे हैं।  सरकारी स्कूलों के हालात जगजाहिर हैं, लेकिन आज हम जिस समस्या की बात कर रहे हैं, वह इससे भी बड़ी है। 

अपने देश में बड़ी तादाद में ऐसे बच्चे हैं जिन्हें प्राईमरी एजुकेशन भी मयस्सर नहीं होती। ये बच्चे झुग्गी बस्तियों में रहने वाले हैं, जिनके लिए शिक्षा एक ऐसा सपना है, जो शायद पूरा होना उनके लिए मुमकिन नहीं।  इन बच्चों के इन सपनों को ही ओखला की सोशल एक्टिविस्ट ‘‘शबीना खान’’ सच कर रही हैं।
झुग्गी बस्तियों के बच्चों के लिए मसीहा बनीं शबीना खान
हमारी आवाज़ फाउडेंशन की फाउंडर शबीना खान ने यूपीयूकेलाइव से बातचीत के दौरान बताया कि उन्होंने अपना बचपन इन हालात में बिताया है कि तालीम को बहुत ज्यादा सुविधाएं नहीं थीं और बहुत ज्यादा संघर्ष कर प्रारम्भिक शिक्षा हासिल की। इसलिए वह चाहती हैं कि कोई और ‘शबीना’ न बने। किसी गरीब बच्चे को इस तरह संघर्ष न करना पड़े, इसलिए वह ये काम कर रही हैं।
झुग्गी बस्तियों के बच्चों के लिए मसीहा बनीं शबीना खान
हमारी आवाज़ फाउडेंशन फिलहाल 300 बच्चों को तालीम दिला रही है। जिन्हें तमाम गैर-मुस्लिम बच्चे भी शामिल हैं। सिर्फ शिक्षा ही नहीं ‘शबीना’ हर मौके पर गरीब बच्चों के साथ खुशियां बांटने पहुंच जाती हैं।