शफ़क़त आमना ने UPSC में कामयाब होकर किया मां-बाप का नाम रोशन

डंके की चोट पर 'सिर्फ सच'

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शफ़क़त आमना ने UPSC में कामयाब होकर किया मां-बाप का नाम रोशन

(यूपीएससी) संघ लोक सेवा आयोग 2018 का नतीजा आ चुका है,जिसमें 759 छात्र छात्राओं ने कामयाबी हासिल करी है,इन नतीज़ों के बाद देशभर में खुशी का माहौल है। पूर्वी चंपारण जिले के रामगढ़वा स्थित अधकपरिया गांव की पहचान हत्या, मारपीट आदि आपराधिक घटनाओं को लेकर


शफ़क़त आमना ने UPSC में कामयाब होकर किया मां-बाप का नाम रोशन(यूपीएससी) संघ लोक सेवा आयोग 2018 का नतीजा आ चुका है,जिसमें 759 छात्र छात्राओं ने कामयाबी हासिल करी है,इन नतीज़ों के बाद देशभर में खुशी का माहौल है।

पूर्वी चंपारण जिले के रामगढ़वा स्थित अधकपरिया गांव की पहचान हत्या, मारपीट आदि आपराधिक घटनाओं को लेकर बनी हुई थी, लेकिन अब इसकी पहचान देश के पटल पर सेवानिवृत्त शिक्षक जफीर आलम व गृहिणी रिफत परवीन की तृतीय पुत्री 24 वर्षीया शफकत आमना ने यूपीएससी की परीक्षा में 186वां स्थान लाकर बदलने के प्रयास में एक कदम आगे बढ़ाया है।

उसने न सिर्फ अपने कुनबे का नाम रोशन किया है, बल्कि सुदूर ग्रामीण क्षेत्र के प्रतिभावान लड़कियों को लिए रोल मॉडल बन गई है। शफकत की कामयाबी से पूरे परिवार के साथ-साथ गांव में जश्न का माहौल है। उसने अपने तीसरे प्रयास में यह उपलब्धि हासिल की है। नवोदय विद्यालय से दसवीं की परीक्षा की थी पास

मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार आमना के पिता जफीर आलम बताते हैं कि पश्चिम चंपारण के बेतिया जवाहर नवोदय विद्यालय से दसवीं पास की। डीपीएस बोकारो से उसने इंटर किया। इसके बाद हालात ऐसे बने कि उसे गांव वापस आना पड़ा। यहां मोतिहारी स्थित पीयूपी कॉलेज से उसने ज्योग्राफी से ऑनर्स किया और सिविल सर्विस की तैयारी के लिए वर्ष 2016 में दिल्ली चली गई। वहां उसने जामिया मिल्लिया इस्लामिया के रेजिडेंशियल कोचिग में रहकर तैयारी की।

आमना के पिता ने अपने सभी पांच बच्चों को बेहतर तालिम दी है। ताकि वे अपने पैरों पर खड़े हो सके। सभी बच्चों ने उनकी सोच से बढ़कर काम किया है। बड़ी बेटी इस्मत फातिमा जामिया से बीएड, बीटेक व सीटेक की तालिम हासिल की है। दूसरी बेटी इफत आयसा बैंक की तैयारी कर रही है। चौथी बेटी साहिना अंजूम जामिया से एलएलबी कर रही है। बेटा शहबाज बदर जामिया से जेआरएफ में पीएचडी कर रहा है। आमना कहती हैं कि बचपन से ही मेरी ख्वाहिश लोगों के बीच रहकर उनके लिए कुछ करने की रही है।


ग्रामीण क्षेत्र में रहने वाले लोगों के जीवन स्तर व वहां के हालत को बदलने की बात हमें अपने अब्बू से करती तो उन्होंने मुझे सिविल सर्विस में जाने के लिए प्रेरित किया। आमना बताती हैं कि उसकी पहली च्वाईस आइएएस है और उसे उम्मीद है कि उसे आइएएस जरूर मिलेगा। ईमानदार कोशिश के साथ करें देश सेवा : जफीर आमना के पिता जफीर चाहते हैं कि उनकी बेटी एक ईमानदार सेवक के रूप में देश की सेवा करें। समाज में शांति, आपसी भाईचारगी व खुशहाली से ही देश की तस्वीर बदल सकती है। साथ ही उन्होंने बेटी को कहा है कि समाज को शिक्षित बनाने की दिशा में भी काम करना होगा, तभी सुदूर ग्रामीण क्षेत्र के बच्चों को अच्छी तालिम मिल सकेगी और वे भी देश की पटल पर अपने क्षेत्र का नाम रोशन कर सकेंगे।