तो क्या अब वाकई मुस्लिम बच्चों के एक हाथ में कुरान और दूसरे में कम्प्यूटर होगा?

डंके की चोट पर 'सिर्फ सच'

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तो क्या अब वाकई मुस्लिम बच्चों के एक हाथ में कुरान और दूसरे में कम्प्यूटर होगा?

एसपी मित्तल प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने अपनी सरकार के प्रथम कार्यकाल में कई बार कहा कि मुस्लिम बच्चों के एक हाथ में कुरान तो दूसरे हाथ में कम्प्यूटर होना चाहिए। मोदी ने यह मदरसों में दी जाने वाली मजहबी शिक्षा के संदर्भ में कही। नरेन्द्र मोदी की सर


तो क्या अब वाकई मुस्लिम बच्चों के एक हाथ में कुरान और दूसरे में कम्प्यूटर होगा?
एसपी मित्तल 
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने अपनी सरकार के प्रथम कार्यकाल में कई बार कहा कि मुस्लिम बच्चों के एक हाथ में कुरान तो दूसरे हाथ में कम्प्यूटर होना चाहिए। मोदी ने यह मदरसों में दी जाने वाली मजहबी शिक्षा के संदर्भ में कही। नरेन्द्र मोदी की सरकार का दूसरा कार्यकाल शुरू हुए अभी एक पखवाड़ा भी पूरा नहीं हुआ है कि मोदी सरकार ने मदरसों में पढऩे वाले बच्चों के लिए महत्वपूर्ण घोषणा कर दी है।

अब ऐसे पांच करोड़ बच्चों को  स्कॉलरशिप मिलेगी। पात्र बच्चों में 50 प्रतिशत लड़कियां होंगी। मदरसों में विज्ञान, गणित, अंग्रेजी, हिन्दी आदि पढऩे के साथ-साथ मदरसों का अधुनिकीकरण भी होगा। जब मदरसों का आधुनिकीकरण होगा तो प्रधानमंत्री मोदी का यह समना भी सच होगा कि मुस्लिम बच्चों के हाथ में कुरान और दूसरे हाथ में कम्प्यूटर होगा।

इसमें कोई दो राय नहीं कि मुस्लिम बच्चों को भी पब्लिक और कॉन्वेंट स्कूल के बच्चों की तरह सुविधा मिलनी चाहिए। हालांकि जो मुस्लिम परिवार शिक्षा को महत्व देते हैं वो अपने बच्चों को अंग्रेजी माध्यम के स्कूल में पढ़ा रहे हैं। ऐसे बच्चे सरकारी सुविधाओं का लाभ भी प्राप्त कर रहे हैं। लेकिन अधिकांश मुस्लिम परिवारों के बच्चे मदरसों में ही पढ़ते हैं। मुस्लिम लड़कियों को भी मदरसे वाली शिक्षा ही दी जाती है।

लेकिन अब सरकार की इस पहल से मुस्लिम लड़कियों को भी फायदा होगा। ऐसा  नहीं कि मुस्लिम बच्चों में योग्यता की कमी है, लेकिन उन्हें अवसर नहीं मिलने की वजह से योग्यता दिखाने का मौका नहीं मिलता। जो मुस्लिम संस्थाएं मदरसे संचालित करती है उन्हें सरकार की योजना का लाभ उठाना चाहिए।

हो सकता है कि आगे चल सरकार स्कूलों की तरह मदरसों के बच्चों को भी मिड डे मील जैसी सुविधाओं का लाभ मिले। वैसे जो मुस्लिम बच्चे सरकारी स्कूलों में पढ़ रहे हैं उन्हें बिना किसी भेदभाव के मिड डे मील आदि की सुविधाएं मिल रही हैं।
-सांकेतिक तस्वीर