CA की नौकरी छोड़ खोली चाय की दुकान, अब महीने की कमाई है 50 लाख
नई दिल्ली के रहने वाले रॉबिन झा चाय बेचकर हर महीने 50 लाख रुपये कमा लेते हैं। रॉबिन ने चाय का एक स्टार्ट अप खोला है - टीपॉट (tpot) और वो इसके सीईओ हैं। टीपॉट कंपनी दिल्ली-एनसीआर में 21 टी-बार चलाती है। इस कंपनी की शुरुआत में ही दो लाख रुपये महीने की
नई दिल्ली के रहने वाले रॉबिन झा चाय बेचकर हर महीने 50 लाख रुपये कमा लेते हैं। रॉबिन ने चाय का एक स्टार्ट अप खोला है - टीपॉट (tpot) और वो इसके सीईओ हैं। टीपॉट कंपनी दिल्ली-एनसीआर में 21 टी-बार चलाती है।
इस कंपनी की शुरुआत में ही दो लाख रुपये महीने की बिक्री हुई लेकिन चार साल बाद ये बिक्री 2400 फीसदी बढ़कर 50 लाख रुपये महीना हो गई।
कमाल की बात ये है कि रॉबिन चार्टर्ड अकाउंटेंट हैं और टीपॉट शुरू करने से पहले अर्न्स्ट ऐंड यंग में मर्जर ऐंड एक्विजिशन एग्ज़ीक्यूटिव के तौर पर काम कर रहे थे।
रॉबिन को 2013 की शुरुआत में चाय की दुकान खोलने का आइडिया आया। उन्होंने नौकरी से बचाए पैसों से इसकी शुरुआत की और अपने दो दोस्तों मार्केटिंग एग्जीक्यूटिव अतीत कुमार और सीए असद खान की मदद ली। वेबसाइट वीकेंड लीडर को रॉबिन बताते हैं कि खुद का कुछ शुरू करने का विचार अर्न्स्ट ऐंड यंग में काम करते वक्त आया।
मैंने ख़ुद से पूछा, क्या मैं कुछ करना चाहता हूं? इसके बाद मैंने दोस्तों के साथ बिजनेस आइडिया पर मंथन किया और चाय से जुड़ा काम करना तय किया। शुरुआत में उनका परिवार उनके इस फैसले के खिलाफ था लेकिन बाद में सब मान गए।
इस कंपनी की शुरुआत में ही दो लाख रुपये महीने की बिक्री हुई लेकिन चार साल बाद ये बिक्री 2400 फीसदी बढ़कर 50 लाख रुपये महीना हो गई।
कमाल की बात ये है कि रॉबिन चार्टर्ड अकाउंटेंट हैं और टीपॉट शुरू करने से पहले अर्न्स्ट ऐंड यंग में मर्जर ऐंड एक्विजिशन एग्ज़ीक्यूटिव के तौर पर काम कर रहे थे।
रॉबिन को 2013 की शुरुआत में चाय की दुकान खोलने का आइडिया आया। उन्होंने नौकरी से बचाए पैसों से इसकी शुरुआत की और अपने दो दोस्तों मार्केटिंग एग्जीक्यूटिव अतीत कुमार और सीए असद खान की मदद ली। वेबसाइट वीकेंड लीडर को रॉबिन बताते हैं कि खुद का कुछ शुरू करने का विचार अर्न्स्ट ऐंड यंग में काम करते वक्त आया।
मैंने ख़ुद से पूछा, क्या मैं कुछ करना चाहता हूं? इसके बाद मैंने दोस्तों के साथ बिजनेस आइडिया पर मंथन किया और चाय से जुड़ा काम करना तय किया। शुरुआत में उनका परिवार उनके इस फैसले के खिलाफ था लेकिन बाद में सब मान गए।