भगवान नृसिंह कमल की मूर्ति यहां खुद हुई थी प्रकट, 1200 साल पुराना है मंदिर
उत्तराखंड में चमोली जिले के जोशीमठ में भी भगवान नृसिंह का दिव्य मंदिर बना हुआ है। यह मंदिर संत बदरीनाथ का भी घर हुआ करता था। 1200 वर्षों से भी पुराने इस मंदिर के बारे में कहा जाता है कि आदिगुरु शंकराचार्य ने स्वयं इस स्थान पर भगवान नृसिंह की शालिग्र
उत्तराखंड में चमोली जिले के जोशीमठ में भी भगवान नृसिंह का दिव्य मंदिर बना हुआ है। यह मंदिर संत बदरीनाथ का भी घर हुआ करता था।
1200 वर्षों से भी पुराने इस मंदिर के बारे में कहा जाता है कि आदिगुरु शंकराचार्य ने स्वयं इस स्थान पर भगवान नृसिंह की शालिग्राम की स्थापना की थी।
मंदिर में भगवान की प्रतिमा शालिग्राम पत्थर से बन है। कुछ लोगों का मानना है कि यहां मूर्ति स्वयं प्रकट हुई थी। यहां भगवान नृसिंह कमल पर विराजमान हैं।
मंदिर के बारे में कहा जाता है कि यहां भगवान की प्रतिमा दिन ब दिन सिकुड़ती जा रही है। मूर्ति की बाईं कलाई दिन प्रतिदिन पतली होती जा रही है।
1200 वर्षों से भी पुराने इस मंदिर के बारे में कहा जाता है कि आदिगुरु शंकराचार्य ने स्वयं इस स्थान पर भगवान नृसिंह की शालिग्राम की स्थापना की थी।
मंदिर में भगवान की प्रतिमा शालिग्राम पत्थर से बन है। कुछ लोगों का मानना है कि यहां मूर्ति स्वयं प्रकट हुई थी। यहां भगवान नृसिंह कमल पर विराजमान हैं।
मंदिर के बारे में कहा जाता है कि यहां भगवान की प्रतिमा दिन ब दिन सिकुड़ती जा रही है। मूर्ति की बाईं कलाई दिन प्रतिदिन पतली होती जा रही है।