मुर्दाघरों के बाहर चक्कर लगाती है ये लड़की, जानिए क्या है वजह...

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मुर्दाघरों के बाहर चक्कर लगाती है ये लड़की, जानिए क्या है वजह...

नई दिल्ली। हैदराबाद की श्रुति रेड्डी पेशे से एक सॉफ्टवेयर डेवलपर थी लेकिन अब वह रोजाना श्मशान घाट के चक्कर लगा रही है। इतना ही नहीं श्मशान घाट को ही अपना प्रोफेशन बना लिया है। दरअसल श्रुति ‘अंत्येष्टि’ फ्यूनरल सर्विसेज नाम से स्टार्टअप चलाती हैं। ये


मुर्दाघरों के बाहर चक्कर लगाती है ये लड़की, जानिए क्या है वजह...नई दिल्ली।  हैदराबाद की श्रुति रेड्डी पेशे से एक सॉफ्टवेयर डेवलपर थी लेकिन अब वह रोजाना श्मशान घाट के चक्कर लगा रही है। इतना ही नहीं श्मशान घाट को ही अपना प्रोफेशन बना लिया है।

दरअसल श्रुति ‘अंत्येष्टि’ फ्यूनरल सर्विसेज नाम से स्‍टार्टअप चलाती हैं। ये स्टार्टअप अंतिम संस्कार से जुड़ी सुविधाएं उपलब्ध कराता है।
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श्रति को ये आइडिया अपने दादाजी के मौत के बाद आया था। उनकी मौत के दिन सब कुछ अस्त-व्यस्त था। अंतिम संस्कार का सामान जुटाने के लिए घर के सभी लोग परेशान थे। घरवालों को उस टाइम सामान जुटाने में काफी भाग दौड़ करनी पड़ी थी।

उसने तभी ये तय कर लिया था कि वह एक दिन अंत्येष्टि’ से जुड़ी सुविधाएं मुहैया कराने के लिए फ्यूनरल सर्विसेज शुरू करेगी। स्टार्टअप का आइडिया वहीं से आया था।शुरुआत में उसने श्मशान घाट में जाकर सर्वे किया। इसके अलावा उन्होंने हर दिन होने वाली मौतों का आंकड़ा इक्ट्ठा किया।

मुर्दाघरों के बाहर चक्कर लगाती है ये लड़की, जानिए क्या है वजह...आज श्रुति के साथ चार और लोग जुड़े हैं। वह धीरे –धीरे अपने कामों को हैदराबाद के बाहर भी फैलाने की कोशिश में जुटी है।श्रुति के मुताबिक जब लोगों को उनके स्टार्टअप के बारे में पता चला, तो उन्होंने उसे ऐसा न करने की सलाह दी। यही नहीं नौकरी छोड़ने पर श्रुति की मां ने दो महीने तक उससे बात नहीं की थी।

लेकिन वह निराश नहीं हुई थी। वह अपने काम में जुटी रहीं। आज उनकी कंपनी की हेल्पलाइन 24 घंटे खुली रहती है, रात को वह खुद कॉल लेती है।श्रुति के मुताबिक उनका ये स्टार्टअप अंतिम संस्कार के लिए वन स्टॉप सर्विस है। उनकी टीम फ्यूनरल प्लानिंग भी करती है। यानी किसी के घर में मौत होती है तो बस एक फोन आने पर सारा सामान उपलब्ध करवाती है। यही नहीं ये स्टार्टअप कम कीमत पर अंतिम संस्कार से लेकर श्राद्ध तक सारी अनुष्ठान की जिम्मेदारी निभाता है।
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मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार श्रुति बताती है, जब हमने इसे शुरू करने की योजना बनाई तभी हमारे सामने कई तरह की चुनौतियां आने लगी थीं। जब हम सूचनाएं जुटाने के लिए श्मशान के आसपास घूमते थे तो लोग हमें शक की निगाह से देखते थे। वे समझ नहीं पाते थे कि आखिर हम करना क्‍या चाह रहे हैं। माता-पिता भी उन्हें ये समझाते थे कि आखिर वे क्‍यों साफ्टेवेयर का काम छोड़कर ये सब करने जा रही हैं।


श्रुति इलेट्रिकल इंजीनियर हैं और ये काम आरंभ करने से पहले नौ साल तक इंजीनियर के तौर पर काम कर चुकी हैं। वे कहती हैं कि जीवन में कुछ अलग करना चाहती थीं, इसलिए नौकरी छोड़कर उन्‍होंने ये करने का फैसला किया।