बच्चों को 'आर्मी अफसर' बनाने के लिए कुली बन गई ये मां...

डंके की चोट पर 'सिर्फ सच'

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बच्चों को 'आर्मी अफसर' बनाने के लिए कुली बन गई ये मां...

मध्य प्रदेश जाते वक्त कटनी रेलवे स्टेशन जाना हो तो वहां किसी दुबली-पतली सी युवती को बतौर कुली का काम करते देखकर चौंक मत जाइगा। ये हैं संध्या, जो उस स्टेशन पर काम करने वाले करीब 40 कुलियों में से एक ही महिला हैं। कंधे पर दूसरों का बोझ ढोने के लिए संध


बच्चों को 'आर्मी अफसर' बनाने के लिए कुली बन गई ये मां...मध्य प्रदेश जाते वक्त कटनी रेलवे स्टेशन जाना हो तो वहां किसी दुबली-पतली सी युवती को बतौर कुली का काम करते देखकर चौंक मत जाइगा। ये हैं संध्या, जो उस स्टेशन पर काम करने वाले करीब 40 कुलियों में से एक ही महिला हैं। कंधे पर दूसरों का बोझ ढोने के लिए संध्या को अपने घर से 200 किलोमीटर से भी ज्यादा दूरी तय करने पड़ती है।
बच्चों को 'आर्मी अफसर' बनाने के लिए कुली बन गई ये मां...
जबलपुर जिले के कुंडम गांव की रहने वाली संध्या को हर सुबह पहले जबलपुर जाना पड़ता है वहां से वो ट्रेन के जरिए ही कटनी का सफर तय करती हैं। फिर कटनी रेलवे स्टेशन पर 30 साल की संध्या अपने परिवार का खर्च चलाने के लिए पूरी मेहनत के साथ बतौर कुली काम करती हैं। उन्होंने रेल अधिकारियों से अर्जी दाखिल की है कि उन्हें कटनी से ट्रांसफर करके जबलपुर भेज दिया जाए। लेकिन अभी तक उस पर कोई सुनवाई नहीं हुई है।
बच्चों को 'आर्मी अफसर' बनाने के लिए कुली बन गई ये मां...

संध्या के पति का साल 2016 में आकस्मिक देहांत हो गया था। उनके तीनों बच्चे 10 साल से कम उम्र के हैं। सास बुजुर्ग हैं, घर की कमाई से लेकर राशन पानी लाने का काम और किसी आकस्मिक घटना में भी परिवार का पूरा दायित्व संध्या के ही कंधों पर होता है। लेकिन वो हर मोर्चे से लड़कर अपने और अपने परिवार की जिंदगी को बेहतर बनाने में जुटी हुई हैं। संध्या का कहना है कि वो अपने बच्चों को आर्मी अफसर बनाना चाहती है। मुझे मांग कर खाना अच्छा नहीं लगता। इसलिए मेहनत करती हूं।`