देश के बंटवारे का प्रस्ताव पास होने पर सावरकर ने दी थी बधाई!
नई दिल्ली। मोहम्मद अली जिन्ना भारत में जमकर चर्चाओं में हैं। उनकी एक फोटो का मामला है जो अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालयके लगा हुआ था। अब सोशल मीडिया एक्टिविस्ट मोहम्मद ज़ाहिद ने इस पर टिप्पणी की है। उन्होंने हिंदुस्तान अख़बार की एक कटिंग शेयर करते हुए दा
नई दिल्ली। मोहम्मद अली जिन्ना भारत में जमकर चर्चाओं में हैं। उनकी एक फोटो का मामला है जो अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालयके लगा हुआ था।
अब सोशल मीडिया एक्टिविस्ट मोहम्मद ज़ाहिद ने इस पर टिप्पणी की है। उन्होंने हिंदुस्तान अख़बार की एक कटिंग शेयर करते हुए दावा किया है कि जिन्ना के मस्तिष्क में बंटवारे का बीज सावरकर ने बोया था और बंटवारे का प्रस्ताव पास होने पर बधाई दी थी।
ज़ाहिद ने लिखा- इस देश का बटवारा केवल इस लिए हुआ कि आजाद भारत का पहला प्रधानमंत्री एक मुसलमान ना बने।
यदि नेहरू-पटेल-गांधी , जिन्ना को प्रधानमंत्री बना देते तो इस देश का बंटवारा नहीं होता , ना पाकिस्तान बनता ना बंग्लादेश बनता।
एक मुसलमान को प्रधानमंत्री ना बनाने की कीमत गाँधी-नेहरू-पटेल द्वारा देश को तोड़ कर दी गयी।
एक मुसलमान को प्रधानमंत्री बनने से रोकने के कारण नेहरू-पटेल-गांधी संघियों के प्रिय होने चाहिए परन्तु गुजरात ऐंगल के कारण पटेल को छोड़कर नेहरू और गाँधी संघियों के आक्रमण पर होते हैं।
दरअसल जिन्ना के मस्तिष्क में बंटवारे का बीज माफीवीर सावरकर ने ही बोया था , और बंटवारे का प्रस्ताव पास होने पर बधाई दी थी।
यह रहा प्रमाण
अब सोशल मीडिया एक्टिविस्ट मोहम्मद ज़ाहिद ने इस पर टिप्पणी की है। उन्होंने हिंदुस्तान अख़बार की एक कटिंग शेयर करते हुए दावा किया है कि जिन्ना के मस्तिष्क में बंटवारे का बीज सावरकर ने बोया था और बंटवारे का प्रस्ताव पास होने पर बधाई दी थी।
ज़ाहिद ने लिखा- इस देश का बटवारा केवल इस लिए हुआ कि आजाद भारत का पहला प्रधानमंत्री एक मुसलमान ना बने।
यदि नेहरू-पटेल-गांधी , जिन्ना को प्रधानमंत्री बना देते तो इस देश का बंटवारा नहीं होता , ना पाकिस्तान बनता ना बंग्लादेश बनता।
एक मुसलमान को प्रधानमंत्री ना बनाने की कीमत गाँधी-नेहरू-पटेल द्वारा देश को तोड़ कर दी गयी।
एक मुसलमान को प्रधानमंत्री बनने से रोकने के कारण नेहरू-पटेल-गांधी संघियों के प्रिय होने चाहिए परन्तु गुजरात ऐंगल के कारण पटेल को छोड़कर नेहरू और गाँधी संघियों के आक्रमण पर होते हैं।
दरअसल जिन्ना के मस्तिष्क में बंटवारे का बीज माफीवीर सावरकर ने ही बोया था , और बंटवारे का प्रस्ताव पास होने पर बधाई दी थी।
यह रहा प्रमाण