इस बार चुनाव में खामोश क्यों है मतदाता?
जगदलपुर। बस्तर संसदीय चुनाव क्षेत्र के लिए वोट डालने के लिए सारी तैयारियां कर ली गई है।, लेकिन जिन्हें वोट डालना है, उनमें कोई उत्साह चुनाव के प्रति नहीं है। आम मतदाता की यह मानसिकता है कि पहले अपना काम बाद में सोचेंगे वोट डालना है कि नहीं। इस मानसि
जगदलपुर। बस्तर संसदीय चुनाव क्षेत्र के लिए वोट डालने के लिए सारी तैयारियां कर ली गई है।, लेकिन जिन्हें वोट डालना है, उनमें कोई उत्साह चुनाव के प्रति नहीं है। आम मतदाता की यह मानसिकता है कि पहले अपना काम बाद में सोचेंगे वोट डालना है कि नहीं। इस मानसिकता से चुनाव प्रचार में अभी तक कोई तेजी नहीं थी। अब घर-घर जाकर जो प्रचार हो रहा है, उसमें भी ग्रामीण मतदाता अपने कार्य को पहले प्रमुखता दे रहे हैं।
उल्लेखनीय है कि पूरे बस्तर में बीते 15 दिनों में किसी प्रकार की चुनावी सरगर्मियां दिखाई नहीं पड़ी। अलबत्ता प्रमुख पार्टियों के इक्का-दुक्का वाहन रिकार्ड किये हुए प्रचार से हल्ला करते और प्रचार करते अवश्य दिखाई दिये। ग्रामीण क्षेत्रों में हमेशा की तरह ग्रामीण मतदाता अपना दैनिक कार्य करते हुए व्यस्त रहे। वर्तमान में बस्तर का मतदाता आने वाले बरसात के लिए और अपने खेतों की तैयारी में व्यस्त होकर किसी भी प्रकार का समय निकालने की फुरस्त में नहीं है। ग्रामीण क्षेत्रों में भी कुछ दलों द्वारा छोटी-छोटी संभाएं लेकर प्रचार करने का जो उपक्रम किया गया। उसमें भी दोनों दलों के भाजपा व कांग्रेस के प्रत्याशियों के नये होने से ग्रामीण मतदाता सभाओं में भी उन्हें सुनने के लिए नहीं पहुंचे। पार्टी कार्यकर्ताओं को भीड़ जुटाने के लिए काफी मशक्कत करनी पड़ी। उसके बाद भी भीड़ नहीं जुट पाई। इस समय ग्रामीण इमली और महुआ के संग्रहण में लगे हुए हैं और समय रहते वो इन दोनों उपजों के माध्यम से बरसात के लिए कमाई करना चाहते हैं। इसलिए भी ग्रामीण मतदाताओं में चुनाव के प्रति उदासीनता देखी गई।
उल्लेखनीय है कि पूरे बस्तर में बीते 15 दिनों में किसी प्रकार की चुनावी सरगर्मियां दिखाई नहीं पड़ी। अलबत्ता प्रमुख पार्टियों के इक्का-दुक्का वाहन रिकार्ड किये हुए प्रचार से हल्ला करते और प्रचार करते अवश्य दिखाई दिये। ग्रामीण क्षेत्रों में हमेशा की तरह ग्रामीण मतदाता अपना दैनिक कार्य करते हुए व्यस्त रहे। वर्तमान में बस्तर का मतदाता आने वाले बरसात के लिए और अपने खेतों की तैयारी में व्यस्त होकर किसी भी प्रकार का समय निकालने की फुरस्त में नहीं है। ग्रामीण क्षेत्रों में भी कुछ दलों द्वारा छोटी-छोटी संभाएं लेकर प्रचार करने का जो उपक्रम किया गया। उसमें भी दोनों दलों के भाजपा व कांग्रेस के प्रत्याशियों के नये होने से ग्रामीण मतदाता सभाओं में भी उन्हें सुनने के लिए नहीं पहुंचे। पार्टी कार्यकर्ताओं को भीड़ जुटाने के लिए काफी मशक्कत करनी पड़ी। उसके बाद भी भीड़ नहीं जुट पाई। इस समय ग्रामीण इमली और महुआ के संग्रहण में लगे हुए हैं और समय रहते वो इन दोनों उपजों के माध्यम से बरसात के लिए कमाई करना चाहते हैं। इसलिए भी ग्रामीण मतदाताओं में चुनाव के प्रति उदासीनता देखी गई।